प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से होगी बेरोजगारी दूर, यहां देखें इससे जुड़ी पूरी जानकारी

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भारत सरकार द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (Prime Minister Employment Generation Programme) एक लोन योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को बेरोजगारी से छुटकारा दिलाना है। इस योजना को वर्ष 2000 में घोषित किया गया, जबकि इसे औपचारिक रूप से लागू वर्ष 2008 में किया गया। सरकार की यह योजना दो योजनाओं, रूरल इम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (REGP) और प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) से मिलकर बनी है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) इस योजना का प्रबंधन संभालता है, जबकि योजना को लागू करने की जिम्मेदारी खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की है। वहीँ, राज्य स्तर पर इस योजना का संचालन भी KVIC के अंतर्गत ही आता है।


योजना का उद्देश्य

सरकार की इस योजना का प्रमुख उद्देश्य स्व-रोजगार उद्यमों, सूक्ष्म उद्यमों और अन्य योग्य परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करना है। साथ ही इसमें गांव के कारीगरों की परंपरा को वापस लाने और बेरोजगार शहरी युवाओं की रोजगार पाने में मदद करने पर भी खास जोर दिया गया है। इसके अलावा यह योजना सुनिश्चित करती है कि टिकाऊ रोजगार उपयुक्त कराया जाए।

कौन उठा सकते हैं इस योजना का लाभ?


PMEGP के कुछ योग्यता नियम निर्धारित किये गए हैं। इस योजना का लाभ केवल वही लोग उठा सकते हैं जो नियम किसभी शर्तें पूरी करते हों।

  • यह योजना केवल उन नई परियोजनाओं के लिए सहायक होती है, जिन्हें अधिकारियों द्वारा अनुमोदित (Sanctioned) किया गया हो।
  • योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
  • 10 लाख रुपए तक की लागत वाली मेनुफेक्चरिंग सेक्टर के लिए और 5 लाख रुपए तक के व्यवसाय या सेवा क्षेत्र की परियोजनाओं को शुरू करने लिए आवेदक के लिए जरूरी है कि उसने न्यूनतम आंठवी कक्षा तक पढ़ाई की हुई हो।
  • इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूह (Self Help Gruops) भी सहयता प्राप्त कर सकते हैं।
  • यह योजना खास कर बीपीएल (BPL) परिवारों के लिए लागू की गयी है लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि वे ऐसी किसी अन्य योजना का लाभ न उठा रहे हों।
  • कोई भी संस्था, जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (Societies Registration Act) 1860 के तहत रजिस्टर्ड हो, भी इस योजना का लाभ उठा सकती है। साथ ही यह योजना चेरिटेबल ट्रस्ट और उत्पादन-आधारित सहकारी समितियों को भी लाभ पहुंचाती है। लेकिन इसके लिए जरुरी है कि ये संस्थाएं REGP, PMRY, या भारत सरकार या राज्य सरकार के किसी भी समान का लाभ न उठा रही हों।

कौन नहीं उठा पाएंगे इस योजना का लाभ?

  • कोई भी उद्योग या व्यवसाय जो मांस, बीड़ी, पैन, सिगार, सिगरेट, शराब, तम्बाकू या ताड़ी से संबंधित है।
  • पश्मीना ऊन या इसी तरह के उत्पादों के व्यवसाय वाले उद्योग, जिन्हें हाथ की बुनाई और हाथ की कताई की आवश्यकता होती है – जो कि खादी कार्यक्रम से पहले से ही लाभान्वित हो रहे हैं और बिक्री छूट का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
  • कोई भी उद्योग या व्यवसाय जो कि चाय, कॉफी, रबर, सेरीकल्चर, बागवानी, फूलों की खेती और पशुपालन से संबंधित है।
  • रिक्शा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ऑटो रिक्शा, और जम्मू-कश्मीर में हाउस बोट, टूरिस्ट बोट और शिकारे को छोड़कर सारे ग्रामीण परिवहन, इसका लाभ नहीं उठा सकते।
  • कोई भी उद्योग जो उन वस्तुओं से संबंधित है जो पर्यावरणीय को नुकसान पहुंचाती हैं जैसे पॉलीथीन कैरी बैग।

कैसे प्रदान की जाती है सहायता?

योजना का लाभ उठाने के लिए सामान्य वर्ग के लोगों के लिए जरूरी है कि वे परियोजना लागत का कम से कम 10% योगदान करने में सक्षम हों। इस मामले में केंद्र सरकार, शहरी क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए धन का 15% और ग्रामीण क्षेत्रों में निष्पादित होने के मामले में 25% प्रदान करती है। विशेष रूप के अंतर्गत आने वाले आवेदकों को लागत का कम से कम 5% योगदान करने की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों के लिए, केंद्र सरकार 25% फंडिंग (शहरी परियोजनाएं) और 35% फंडिंग (रुरल-प्रोजेक्ट्स) प्रदान करती है।

बता दें कि ऊपर बताये गए विशेष रूप के लाभार्थी के अंतर्गत जो लोग आते हैं वो हैं-

  • अनुसूचित जाति (SC)
  • पूर्व सैनिक
  • अनुसूचित जनजाति (ST)
  • अलग-अलग-पिछड़े पिछड़े वर्ग (OBC)
  • पूर्वोत्तर राज्यों के लोग
  • माइनॉरिटीज (Minorities)
  • बॉर्डर एरिया और हिल्स के पास रहने वाले लोग
  • महिलाएं

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