भारतीय राजनीति में परिवारवाद या वंशवाद का चलन कोई आज की बात नहीं है। समय-समय पर देश ने राजनीतिक परिवारों को फलते-फूलते देखा है। विभिन्न राजनीतिक परिवारों और उनके अंतःपुर की सियासत को भी देश की जनता बड़े लगाव और चाव से देखती-समझती रही है। ऐसा ही एक परिवार जो भारत के सबसे रसूख वाले राजनीतिक परिवारों में शुमार है, वह है गांधी-नेहरू परिवार।
जवाहरलाल नेहरू और उनसे भी पहले मोती लाल नेहरू में अपनी जड़ें ढूँढ़ता यह परिवार एकबार फिर से चर्चा में तब आया जब इंडियन नेशनल कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव नियुक्त किया। कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करते हुए नेहरू-गांधी परिवार के तीन चश्म-ए-चिरागों ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली और लगभग 40 वर्षों तक देश में सरकार चलाई।
आइये इस राजनीतिक परिवार से आये नेताओं पर डालते हैं एक नज़र
मोतीलाल नेहरू:
आरंभिक दौर के प्रखर स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता थे। आजादी के पहले देश में सबसे काबिल वकीलों में से एक थे। कांग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेताओं में मोती लाल नेहरू का नाम आता है। वह 1919-1920 और 1928 से 1929 के दौरान दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। देश की गुलामी के दिनों में उन्होंने नेहरू रिपोर्ट लिखी, जो किसी भी भारतीय का पहला लिखित संविधान माना जाता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू:
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का नाम हमेशा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे सक्रिय और अग्रणी नेताओं में शामिल है। आज़ादी के बाद भारतीय लोकतंत्र का मार्ग प्रशस्त करने का श्रेय उन्हें दिया जा सकता है। साथ ही इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी में लाकर परिवारवाद की नींव भी उन्होंने ही डाली।
इंदिरा गांधी:
पं. जवाहरलाल नेहरू की बेटी और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू। कालांतर में इंदिरा गांधी के नाम से मशहूर हुईं। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद देश की पीएम बनीं और देखते-देखते कांग्रेस का कद्दावर चेहरा बन गईं । इंदिरा को भारतीय राजनीति के इतिहास में एक बेहद मजबूत और दृढ़ इरादों वाली महिला राजनेता के रूप में जाना जाता है। इंदिरा गांधी दूसरी सबसे लंबे समय तक पद संभालने वाली भारतीय प्रधानमंत्री बनीं। 2012 में मैगजीन आउटलुक इंडिया द्वारा ‘सबसे महान भारतीय’ घोषित की गयीं।
फिरोज़ गांधी:
इंदिरा गांधी के पति फिरोज़ खान एक पारसी परिवार से आते थे। स्वतंत्रता सेनानी रहे और आज़ादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में चुने गए लोकसभा के प्रभावशाली सदस्यों में से एक रहे। दैनिक पत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ के प्रबन्ध निर्देशक का पदभार भी संभाला। वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति थे। नेहरू की इच्छा के विपरीत इंदिरा ने फिरोज़ से शादी की और गांधी जी ने उन्हें अपना सरनेम दिया। कालांतर में इंदिरा गांधी के साथ मनमुटाव भी सामने आया।
अरुण नेहरू:
इंदिरा के चचेरे भाई रहे अरुण नेहरू राजनीति में आने से पहले एक सफल उद्यमी थे। वीपी सिंह के इशारे पर इंदिरा गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आईं और बहुत कम समय में एक परिपक्व नेता के तौर पर पहचाने जाने लगे। 1980 के दशक में वो राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में बेहद शक्तिशाली मंत्री रहे और तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह अरुण नेहरू का ही प्रस्ताव था कि राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाए। सरकार के अलावा अरुण नेहरू कांग्रेस में भी कई अहम पदों पर रहे। लेकिन फिर धीरे-धीरे वो कांग्रेस से दूर होते चले गए।
राजीव गांधी:
इंदिरा गांधी के सबसे बड़े बेटे राजीव गांधी देश के 6ठे प्रधानमंत्री बने। एक पेशेवर पायलट रहे राजीव ने अपनी मां की आकस्मिक मृत्यु के बाद अपनी निजी इच्छा के खिलाफ जाकर राजनीति में प्रवेश किया और धीरे-धीरे देश के सबसे प्रमुख राजनेताओं की फेहरिस्त में अपना स्थान बनाया।
संजय गांधी:
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय अपनी मां के सियासी वारिस के तौर पर उभरे। लेकिन, एक विमान दुर्घटना में उनकी असमय मृत्यु के कारण यह जिम्मेदारी उनके भाई राजीव गांधी के हिस्से आई। अपने बड़े भाई की तरह संजय की भी विमानों में दिलचस्पी थी और वह एक पायलट थे। विमान दुर्घटना में सिर में लगी गंभीर चोटों की वजह से उनका निधन हुआ।
मेनका गांधी:
इंदिरा गांधी की बहू और संजय गांधी की पत्नी मेनका, जिनके इंदिरा गांधी से मतभेद के खूब किस्से देश ने सुने। आगे चलकर वह वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं। वर्तमान में केंद्रीय कैबिनेट महिला और बाल विकास मंत्री होने के अलावा मेनका गांधी एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् भी हैं।
सोनिया गांधी:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, सोनिया गांधी राजीव गांधी की पत्नी हैं। इतालवी मूल की सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहीं। 2004 के आम चुनावों के बाद सत्ता में आए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के गठन का श्रेय उन्हें दिया जाता है।
राहुल गांधी:
राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी अमेठी से सांसद हैं। कम उम्र में राजनीति के मैदान में कूदे। अक्सर अपरिपक्व नेता पर भी आलोचना के शिकार होते रहे हैं। वह दिसंबर 2017 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 2014 से एक के बाद एक चुनाव हारकर हाशिये पर जा रही पार्टी को तीन राज्यों में जीत दिलाकर उसमें नई जान फूंक दी है।
वरुण गांधी:
संजय गांधी और मेनका गांधी के बेटे, वरुण गांधी अपनी मां के नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। वरुण गांधी भाजपा के इतिहास में सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय सचिव भी हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा:
राजीव गांधी और सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका ने रॉबर्ट वाड्रा से शादी की और सक्रिय रूप से अपने भाई और मां, अमेठी और रायबरेली के निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के संगठन और प्रचार की जिम्मेदारी संभालती रही हैं। बुधवार 23 जनवरी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के पार्टी महासचिव बनाये जाने के बाद प्रियंका गांधी का नाम जोर-शोर से सुर्खियों में है।