प्रो. नजमा अख्तर बनीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली महिला वाइस चांसलर

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प्रो. नजमा अख्तर बनीं जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली महिला वाइस चांसलर

प्रो. नजमा अख्तर को जामिया मिलिया इस्लामिया का नया वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है। जामिया के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी महिला को वाइस चांसलर बनाया गया है। इस नियुक्ति के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिले प्रस्ताव को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी स्वीकृति दे दी है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय(MHRD) ने जामिया के वीसी पद के लिए नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग ऐंड एडमिनिस्ट्रेशन की नजमा अख्तर, सेक्रेटरी जनरल ऑफ असोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के फरकान कमर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, दिल्ली के प्रफेसर एस.एम. इश्ताक के नाम भेजे थे।


गौरतलब है कि जामिया में अगस्त 2018 से ही वीसी का पद खाली था और कार्यकारी वीसी के तौर पर प्रोफेसर शाहिद अशरफ काम कर रहे थे।

इससे पहले मंत्रालय ने पहले ही वीसी पद की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग की अनुमति मांगी थी। आयोग ने मोदी सरकार को इन विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर्स की नियुक्ति की अनुमति दे दी थी।

कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं नजमा अख्तर

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय(AMU) में परीक्षा नियंत्रक व अकादमिक कार्यक्रमों की निदेशक सहित प्रो नजमा ने कई शीर्ष संस्थानों की अहम जिम्मेदारियां बखूबी निभाई हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) में उन्होंने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के डिस्टेंस एजुकेटर कैपेसिटी बिल्डिंग पाठ्यक्रमों की अगुवाई की है।


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकीं प्रो नजमा को चार दशक के लंबे शैक्षणिक नेतृत्व का अनुभव है। वह एनआईपीए में 130 देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक प्रशासक पाठ्यक्रम की 15 वर्षों तक सफल नेतृत्व के लिए जानी जाती हैं। देश में शैक्षिक प्रशासक तैयार करने के लिए इलाहाबाद में पहले प्रदेश स्तर के प्रबंधन संस्थान को स्थापित व सफलतापूर्वक विकसित करने का श्रेय भी उन्ही को जाता है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्वर्ण पदक विजेता प्रो अख्तर प्रतिष्ठित विद्यार्थी भी रही हैं। उन्होंने राष्ट्रमंडल छात्रवृत्ति सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रशस्तियां अपने नाम की हैं। प्रो नजमा ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे यूनाइटेड किंगडम के वारविक विश्वविद्यालय व नाटिंघम विश्वविद्यालय के अलावा आईआईईपी पेरिस यूनेस्को से शिक्षा प्राप्त की है। वह विकसित व विकाशशील देशों के कई साझा अनुसंधान कार्यों में भी शामिल रही हैं।

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