पुडुचेरी : एक साल में मप्र के बाद गिरने वाली दूसरी कांग्रेस सरकार

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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। पुडुचेरी की कांग्रेस शासित सरकार सोमवार को कमल नाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार के पिछले साल मार्च में 365 दिनों के भीतर गिर जाने के बाद एक साल के अंदर गिरने वाली दूसरी कांग्रेस सरकार बन गई।

अगर कर्नाटक की गठबंधन सरकार को भी गिन लिया जाए तो इस तरह से गिरने वाली यह तीसरी सरकार है। कर्नाटक की गठबंधन सरकार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। कांग्रेस अब सिर्फ तीन राज्यों – पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सिमट कर रह गई है। झारखंड और महाराष्ट्र में यह गठबंधन में है।


नई दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पुडुचेरी सरकार का पतन उनकी चुनावी संभावनाओं को बढ़ाएगा, क्योंकि यह नारायणसामी सरकार की एंटी-इंकम्बेंसी को नकार देगा और राज्य में कांग्रेस को मजबूत करेगा।

पुडुचेरी के निवर्तमान मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करने से ठीक पहले अपनी कांग्रेस नीत सरकार के पतन के बाद इस्तीफा दे दिया है।

फ्लोर टेस्ट से पहले विधानसभा को संबोधित करते हुए नारायणसामी ने आरोप लगाया कि भाजपा भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को पटरी से उतार रही है।


उन्होंने कहा कि अब पुडुचेरी में जो हो रहा है वह राजनीतिक वेश्यावृत्ति है, लेकिन सच्चाई की जीत होगी।

उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी और केंद्र ने विपक्ष के साथ मिलकर उनकी सरकार को अस्थिर कर दिया।

अपने भाषण में उन्होंने अपनी सरकार को गिराने के लिए विपक्ष के साथ मिलीभगत के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। तीन मनोनीत विधायकों के मतदान के अधिकार पर बहस के बाद मुख्यमंत्री और उनके विधायक सदन से बाहर चले गए।

कांग्रेस नेता व पूर्व महासचिव बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि भाजपा उन सरकारों को नीचे गिरा रही है, जहां उसे चुनाव के माध्यम से बहुमत नहीं मिलता है।

पिछले साल ठीक इसी समय कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। यहां कांग्रेस ने पंद्रह साल बाद सत्ता में वापस आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था।

पुडुचेरी, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बीच समानता यह है कि कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया और उनके इस्तीफे के कारण सरकार का पतन हो गया।

गोवा में दस विधायक भाजपा में शामिल हो गए और पिछले पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल में लगभग 20 विधायकों ने तृणमूल में शामिल होने के लिए अपनी पार्टी छोड़ दी।

राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोह के बाद खतरा अभी भी मंडरा रहा है। हालांकि कांग्रेस समय पर इसे हल करने में सफल रही, लेकिन भाजपा की नजर कांग्रेस की अंतर्कलह पर है।

सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार में नाना पटोले के स्पीकर पद से इस्तीफा देने के बाद एक समस्या पैदा हो गई है, क्योंकि गठबंधन के सहयोगियों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सहयोगियों से परामर्श नहीं किया।

झारखंड में नेताओं का कहना है कि सरकार सुरक्षित है और गठबंधन सरकार बिना किसी समस्या के सुचारु रूप से चल रही है।

–आईएएनएस

एसआरएस/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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