पूरे देश को एकजुट होकर लड़ना होगा कोरोना से : सीताराम येचुरी

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नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)| कोरोनावायरस के कारण देशभर में लागू 21 दिनों के लॉकडाउन से संबंधित कई मुद्दों पर बात करते हुए दिग्गज वामपंथी नेता और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव, सीताराम येचुरी ने कहा कि पूरे भारत को इस महामारी से एकजुट होकर लड़ना होगा। येचुरी ने आईएएनएस से कहा, “यह घातक वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई है..जिसे सभी भारतीयों को एक साथ मिलकर लड़ना है। आप एक वर्ग को छोड़ नहीं सकते और यह नहीं सोच सकते कि आप सुरक्षित हैं, आप सुरक्षित नहीं हैं।”

तब्लीगी जमात विवाद का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा, “किसने इन लोगों को मलेशिया और इंडोनेशिया से भारत आने की इजाजत दी? इनकी जांच (हवाईअड्डे पर) की गई थी या नहीं? ये ऐसे मुद्दे हैं जिनके लिए उन्हें (सरकार) जवाबदेह होना चाहिए। लेकिन फिलहाल हम महामारी पर फोकस करें।”


देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान सत्तारूढ़ दल के विधायकों और सांसदों द्वारा जन्मदिन की पार्टी मनाने, या सरकारी अधिकारियों के साथ मारपीट की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर माकपा नेता ने कहा, “यह लॉकडाउन का उपहास है और इन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है। दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश सरकार ने जमातियों (जो लापता हैं) के बारे में जानकारी देने पर 5,000 रुपये के इनाम की घोषणा की है, लेकिन भाजपा द्वारा आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रमों के बारे में क्या? उदाहरण के लिए, भाजपा ने भोपाल में एक शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया। इसी तरह, अयोध्या में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया .. जहां हजारों लोगों की भीड़ जुटी। मापदंड एक ही होना चाहिए, हम इस तरह के आयोजनों पर अलग-अलग विचार नहीं रख सकते हैं।”

लंबी अवधि के लॉकडाउन ने जहां प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों को परेशानी में डाल दिया है, वहीं वामपंथी विपक्षी नेता भी इससे चिंतित हैं।

भारत के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों की गहरी समझ के लिए पहचाने जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र येचुरी ने कहा, “हम महामारी के खिलाफ एक बहुत गंभीर लड़ाई के बीच में हैं। आजीविका, भोजन की कमी और भूख जैसे गंभीर मुद्दे हैं। इन समस्याओं को फौरन हल करने की जरूरत है। एफसीआई के गोदामों में सरकार के पास 7.5 करोड़ मीट्रिक टन खाद्यान्न का भंडार है। इस भंडार को गरीबों में वितरित करने के लिए राज्यों को तुरंत भेजा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक जन धन खाते और सभी बीपीएल खातों में 5,000 रुपये ट्रांसफर करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। गरीबों को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है।”


आर्थिक मोर्चे पर, विशेष रूप से निजी क्षेत्र में लाखों कर्मचारियों की समस्याओं पर, येचुरी ने कहा कि छंटनी और वेतन कटौती हो रही है और इससे शहरी क्षेत्रों में लोगों का गुजर-बसर करना मुश्किल होता जा रहा है।

शीर्ष वामपंथी नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि तीन महीने तक वेतन में कोई कटौती नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार को नियोक्ताओं की सुरक्षा करनी होगी और उन्हें ऐसा करने के लिए आर्थिक मुआवजे का आश्वासन देना होगा। इसी तरह, ग्रामीण क्षेत्रों में कटाई चल रही है लेकिन कई अनाज मंडियां बंद हैं। किसानों को पता नहीं कि खेतों में पड़ी उनकी उपज को कौन खरीदेगा? भुगतान कौन करेगा? इन सवालों का जल्द से जल्द जवाब देने की जरूरत है।”

कोविड-19 के लिए चल रहा टेस्ट विपक्ष, खासकर वाम दलों को परेशान कर रहा है। जांच के लिए कार्यप्रणाली या प्रोटोकॉल उनके लिए कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन जांच का पैमाना निश्चित रूप से चिंता का विषय है।

येचुरी ने आईएएनएस से कहा, “देश में लॉकडाउन क्यों लगाते हैं। .. इसके पीछे का क्या तर्क है? वास्तव में जब देश लॉकडाउन का विकल्प चुनते हैं तो वे इस महत्वपूर्ण समय का उपयोग व्यापक पैमाने पर परीक्षण करने और महामारी के प्रसार के पैमाने को जानने के लिए करते हैं। वे लोगों के समूहों की पहचान करते हैं और उन्हें आइसोलेट करते हैं और बाद में वे धीरे-धीरे लॉकडाउन हटा लेते हैं। यही काम हर देश कर रहा है। लेकिन हमारे देश में परीक्षण का पैमाना बहुत खराब है। फिलहाल, हमारे परीक्षण की दर प्रति 10 लाख पर 102 है। पाकिस्तान में यह दर प्रति 10 लाख पर 191, हांगकांग में प्रति 10 लाख की आबादी पर 14,000, दक्षिण कोरिया में प्रति 10 लाख पर 13,000 और सिंगापुर में प्रति 10 लाख पर 11,000 है। यानी हमारी परीक्षण दर बाकी देशों के मुकाबले बहुत कम है।”

वायरस के खिलाफ लड़ रहे अस्पतालों में लाखों नर्सों और सहायक कर्मचारियों जैसे योद्धाओं ने भी येचुरी का ध्यान आकर्षित किया।

माकपा प्रमुख ने कहा, “हां, मैं उनके बारे में चिंतित हूं। हर किसी को उनके लिए चिंतित होना चाहिए .. जैसा कि वे इस लड़ाई को लड़ने में अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डाल रहे हैं, तो सवाल यह है कि क्या हम अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों की ठीक से सुरक्षा कर रहे हैं? उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें प्रतिदिन पांच लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की जरूरत है। अब तक, हम प्रतिदिन 12,000 पीपीई का उत्पादन कर रहे हैं। पहला कोविड-19 मामला 30 जनवरी को भारत में रिपोर्ट किया गया था। 28 फरवरी तक, हम पीपीई निर्यात कर रहे थे। यह चूक गंभीर है और बाद में इसे लेकर सवाल किया जाएगा। लेकिन फिलहाल हमें पीपीई के उत्पादन में युद्ध स्तर पर तेजी लानी है।”

वामपंथी नेता का मानना है कि कई राज्यों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में, राज्यों को धन की सख्त जरूरत है। वे पहले ही जीएसटी फंड से वंचित रह गए हैं।

उन्होंने कहा, “तो सरकार को संकट की इस घड़ी में राज्यों को तुरंत पर्याप्त धनराशि ट्रांसफर करनी चाहिए।”

येचुरी ने कहा, “यद्यपि उन्होंने (तब्लीगी) गैर जिम्मेदाराना काम किया है, लेकिन तब्लीगी के मुद्दे को सांप्रदायिक नहीं बनाना चाहिए। ऐसी गंभीर स्थिति में एक पूरे समुदाय को निशाना बनाने का परिणाम उल्टा होगा। यह कोरोनावायरस के खिलाफ हमारी एकजुट लड़ाई को कमजोर करेगा, इसलिए इसे अब समाप्त करना होगा। मैं फिर से दोहराऊंगा .. आइए एकजुट होकर इस युद्ध को लड़ें .. आइए एकजुट हों और वायरस को हराएं।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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