पूर्वाचल बनेगा इको टूरिज्म का हब : उप्र के वन मंत्री

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गोरखपुर, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि पूर्वाचल में इको टूरिज्म के क्षेत्र में विकास और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष रुचि से यह क्षेत्र इसका हब बनेगा।

दारा सिंह शनिवार को विश्वविद्यालय परिसर में नियोजन विभाग व गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार और संगोष्ठी के अंतिम दिन शनिवार को प्राथमिक क्षेत्र के आठवें सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उपेक्षित पड़े विशाल नैसर्गिक झील रामगढ़ का कायाकल्प कर दिया है। यह झील आने वाले दिनों में पूर्वाचल के इको टूरिज्म का नेतृत्व करेगी।


वन मंत्री ने कहा कि इको टूरिज्म के लिए पूर्वाचल के गोरखपुर में रामगढ़ झील, संतकबीरनगर का बखिरा ताल, महराजगंज का सोहगीबरवा, सोनभद्र का मसूरी के केम्पटी फॉल जैसा नजारा आदि मनमोहक हैं। महराजगंज में टाइगर रेस्क्यू सेंटर और गिद्ध संरक्षण केंद्र स्थापित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से जनवरी में दर्शकों के लिए खुलने जा रहा चिड़ियाघर इको टूरिज्म की संभावनाओं को और बढ़ा रहा है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की योजना वनवासी क्षेत्रों में स्टे होने बनाकर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने और वन क्षेत्रों में रहने वालों का आय बढ़ाने की भी है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में प्रदेश के इको टूरिज्म स्थलों पर फुटफॉल में 20 गुना तक इजाफा हुआ है। वन मंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए रिकार्ड पौधरोपण का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले साल एक नया रिकार्ड बनेगा।

मुख्य वक्ता प्रमुख सचिव, वन सुधीर गर्ग ने कहा कि ब्रिटिश काल में जंगलों में बसाए गए वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों को समाज और विकास की मुख्यधारा से जोड़ दिया है। वन भू-भाग के इन वनटांगिया गांवों में स्टे होम की सुविधा विकसित कर यहां के निवासियों के लिए आय सृजन का नया द्वार खोला जा सकता है।


गर्ग ने कहा कि ताल-तलैयों के प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्घ पूर्वाचल में इको टूरिज्म और एडवेंचरस टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं। प्रमुख सचिव, वन ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर सभी को सचेत रहने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने के लिए आधिकाधिक पौधरोपण करना समय की मांग है।

गोरखपुर प्राथमिक क्षेत्र के आठवें तकनीकी क्षेत्र में मुख्य वन संरक्षक भीमसेन ने पूर्वाचल में वन क्षेत्र के विकास की स्थिति, देहरादून फॉरेस्ट पैथोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. अमित पांडेय ने पूर्वाचल में साखू के पेड़ों के सूखने के पैथोलॉजिकल कारणों पर रोशनी डाली। सेंटर फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, गोरखपुर के डॉ. बीएन सिंह ने पूर्वाचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सांभा सब-1 प्रजाति के चावल पर किए गए शोध अध्ययन की चर्चा की। वहीं, संजय मल्ल ने पूर्वाचल में वन संपदा पर आधारित उद्योग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। इससे पहले, प्राथमिक क्षेत्र का सातवां तकनीकी सत्र कृषि में रोजगार के मुद्दे पर केंद्रित रहा।

इस सत्र में नाबार्ड के सीजीएम एस. पांडेय, इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर ऑफ साउथ एशिया के निदेशक डॉ. उमाशंकर सिंह ने पूर्वाचल में आलू की गुणवत्ता में सुधार की तकनीक, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पल्लवपुरम मेरठ के कुलपति डॉ. आरके मित्तल ने अर्थव्यवस्था के लिए वरदान अर्गेनिक खेती, सीमैप लखनऊ के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने पूर्वाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारंपरिक के साथ सगंध पौधों की खेती के एकीकरण व पीआरडीएफ के डॉ. रामचेत चौधरी ने कृषि क्षेत्र की ओडीओपी मव शामिल कालानमक चावल की खेती से आय बढ़ाने पर जोर दिया।

–आईएएनएस

वीकेटी/एसजीके

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