बदलेगा पश्चिमी यूपी का सियासी समीकरण, भतीजे इमरान के साथ ‘हाथ’ मिलाएंगे काजी रशीद मसूद

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बदलेगा पश्चिमी यूपी का सियासी समीकरण, भतीजे इमरान के साथ 'हाथ' मिलाएंगे काजी रशीद मसूद

यूपी के सहारनपुर जिले की सियासत एक बार फिर से नया मोड़ लेने जा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद परिवार के राजनीतिक वारिस पुराना वजूद हासिल करने के लिए आपसी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे की ओर हाथ बढ़ाने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो काजी रशीद मसूद बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं और सहारनपुर में अपने भतीजे इमरान मसूद का समर्थन करेंगे।

बता दें कि एक दौर था जब रशीद मसूद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि केंद्र की राजनीति में भी तूती बोलती थी। तब काजी रशीद मसूद का परिवार एकजुट था और उनके प्रमुख सिपहसलारों में भतीजे इमरान मसूद शामिल थे। परिवार की एकजुटता का ही नतीजा था कि इमरान मसूद समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान नगरपालिका सहारनपुर के चेयरमैन चुने गए थे।


बाद में इमरान मसूद ने अपनी सपा सरकार से ही बगावत कर वर्ष 2007 में मुजफ्फराबाद (वर्तमान में बेहट) सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। इसके बाद काजी परिवार कांग्रेस में शामिल हो गया था। कांग्रेस ने भी रशीद मसूद को भरपूर सम्मान दिया।

काजी परिवार में फूट उस समय पड़ी जब 2012 के विधानसभा चुनाव में कैराना से काजी रशीद मसूद के पुत्र शाजान मसूद को हार का सामना करना पड़ा। इमरान भी नकुड़ में चुनाव हार गए। यही नहीं काजी परिवार का अंतर्कलह उस समय सड़क पर आ गया जब इमरान मसूद ने 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और समाजवादी पार्टी से टिकट भी हासिल कर लिया, जबकि काजी रशीद मसूद बेटे शाजान को लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में थे। चुनाव से पूर्व इमरान मसूद को सीडी प्रकरण में जेल जाना पड़ा। इसका फायदा उठाते हुए काजी रशीद मसूद ने कांग्रेस में होने के बावजूद समाजवादी पार्टी से इमरान का टिकट कटवाकर अपने पुत्र शाजान मसूद को दिला दिया।

जमानत पर आए इमरान मसूद ने कांग्रेस से टिकट हासिल कर लोकसभा का चुनाव लड़ा तथा दूसरे नंबर पर रहे, जबकि शाजान मसूद चौथे नंबर पर रहे और जमानत जब्त करा बैठे थे। उधर, एक मामले में काजी रशीद मसूद को सजा होने के साथ जेल की हवा खानी पड़ी थी। इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखने वाला काजी परिवार हाशिए पर आता जा रहा था। शायद इसी का नतीजा है कि काजी परिवार फिर से एक होने की तैयारी में है।


काजी रशीद मसूद का सियासी सफर

-वर्ष 1974 में नकुड़ विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़े और हार गए।

-वर्ष 1977 में जनता पार्टी से लोकसभा का चुनाव सहारनपुर सीट से जीते।

-वर्ष 1980 में लोकदल से सहारनपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीते।

-वर्ष 1984 में लोकसभा का चुनाव भारतीय किसान कामगार पार्टी से चुनाव लड़े और हारे।

-वर्ष 1986 में राज्यसभा सदस्य लोकदल से बने।

-वर्ष 1989 में जनता दल से लोकसभा का चुनाव जीते और केंद्र सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे।

-वर्ष 1991 में लोकसभा का फिर जनता दल से चुनाव जीते।

-वर्ष 1996 में लोकसभा का चुनाव सपा से लड़े और भाजपा के नकली सिंह से हारे।

-वर्ष 1997 में लोकसभा का चुनाव सपा से हारे।

-वर्ष 1999 में लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय लोकदल से लड़े और हारे।

-वर्ष 2004 में लोकसभा का चुनाव सपा से लड़े और जीते।

-वर्ष 2009 में लोकसभा का चुनाव सपा से लड़े और हारे।

-वर्ष 2010 में कांग्रेस ने राज्यसभा में भेजा और साल भर में ही एपीडा का चेयरमैन बना दिया।


 

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