राजग का राफेल सौदा संप्रग से 2.86 फीसदी सस्ता : कैग

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नई दिल्ली, 13 फरवरी (आईएएनएस)| नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की 59,000 करोड़ रुपये के विवादास्पद राफेल सौदे पर आई रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा 2016 में 36 विमानों के लिए हस्ताक्षरित सौदे की कीमत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा प्रस्तावित कीमत से 2.86 फीसदी कम है। सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट में राजग सरकार द्वारा किए गए सौदे में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के वास्तविक मूल्य का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि, रिपोर्ट में कीमत की जांच शामिल है।


रक्षा मंत्रालय के आग्रह पर ऑडिट रिपोर्ट में कीमत को संशोधित कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय ने इसके पीछे भारत-फ्रांस समझौता 2008 व अंतर-सरकारी समझौता (आईजीए) का हवाला दिया है।

सीएजी ने ‘कैपिटल एक्वीजिशन ऑन इंडियन एयर फोर्स’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा है, “कुल मिलाकर इसे इस रूप में देखा जा सकता है कि सीवी मिलियर यूरो के ऑडिट के जरिए अनुमानित संरेखित कीमत के मुकाबले यह अनुबंध ‘यू’ मिलियन यूरो पर हुआ, यानी ऑडिट संरेखित मूल्य से यह 2.86 फीसदी कम है।”

रिपोर्ट में ऑडिट के निष्कर्ष शामिल हैं, जो फ्रांस की सरकार के साथ आईजीए के जरिए मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के अधिग्रहण से जुड़े हैं। इसमें कीमत की जांच भी शामिल है।


कीमतों की तुलना के तौर-तरीके पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय लेखापरीक्षक ने कहा है कि मेसर्स दशॉ एविएशन द्वारा अप्रैल 2008 में 2007 के रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) पर पेश की कई कीमत बाजार की कीमत थी और यह प्रतिस्पर्धी बोली पर आधारित थी।

साल 2007 के मूल्य प्रस्तावों में दो अलग-अलग पैकेज थे। इसमें 18 विमानों की कीमत व 108 विमानों का टीओटी पैकेज शामिल था, जिसके भारत में उत्पादन का लाइसेंस भी था।

सीएजी ने कहा कि दूसरी तरफ 2015 के प्रस्ताव में सिर्फ 36 लड़ाकू विमान शामिल थे। 2007 व 2015 के अधिग्रहण व कीमत की बोलियों में बहुत ज्यादा अंतर था। बाद वाले प्रस्ताव 2015 में भारत में 108 विमानों के उत्पादन के लिए लाइसेंस के टीओटी की कीमत शामिल है, जो 2007 की कुल कीमत की बोली का 77.8 फीसदी था।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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