सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद राजनीतिक गलियारे में राहुल की सक्रियता घटी

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सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद राजनीतिक गलियारे में राहुल की सक्रियता घटी

नई दिल्ली | कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक महीने पहले अपनी मां सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद से राजनीति में ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में राहुल ने बढ़चढ़कर पार्टी का प्रचार किया, लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा, जिसके बाद राहुल ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हें इस फैसले को वापस लेने के लिए बहुत मनाया गया, लेकिन वह नहीं माने।


अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा था कि किसी भी गांधी को पार्टी अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए, लेकिन तीन महीने बाद वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाने का फैसला किया।

पिछले कई दिनों से, राहुल की ज्यादा सक्रियता देखने को नहीं मिल रही है। हालांकि, उनका ट्विटर हैंडल सक्रिय है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों के कार्यक्रम और बयानों पर टिप्पणी की जाती है।

जहां उनकी मां सोनिया और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के सिलसिले में पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर रही हैं, वहीं 49 वर्षीय कांग्रेस सांसद इन सब से बिल्कुल अलग हैं।


वह 12 सितंबर को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए थे, जहां देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की गई थी और कई फैसले लिए गए थे।

पार्टी महासचिवों, राज्यों के प्रभारी, राज्य इकाई के प्रमुखों और कांग्रेस विधायक दलों के नेताओं के लिए रखी गई बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी भी शामिल हुए थे।

राहुल गांधी की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर, पार्टी नेता आर.पी.एन. सिंह ने कहा था कि बैठक केवल महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों के लिए थी।

सोनिया गांधी संगठनात्मक मुद्दों को भी तय करती रही हैं।

वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम रूप से उम्मीदवारों को तय करने में व्यस्त हैं और कांग्रेस चुनाव समिति की बैठकों की अध्यक्षता करती रही हैं। विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह इन राज्यों में भाजपा से सत्ता हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है।

उन्होंने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के बारे में फैसला करने के लिए पार्टी की चुनाव समिति की बैठक की अध्यक्षता की।

जब राहुल गांधी के कार्यालय से संपर्क किया गया, तो वहां से कहा गया कि वह चुनाव समिति के सदस्य नहीं हैं।

पार्टी के कुछ नेताओं का दावा है कि उन्होंने खुद को केरल में अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड तक सीमित कर लिया है।

अटकलों पर विराम लगाने के लिए पार्टी ने कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य राहुल गांधी की कई गतिविधियों को दिखाया। वह 10 अगस्त को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में शामिल हुए, जिसमें नए अध्यक्ष का मुद्दा उठा और जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने पर चर्चा के लिए बुलाई गई सीडब्ल्यूसी में भी उपस्थित थे। उन्होंने विपक्षी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रीनगर जाने की कोशिश की और वायनाड का दौरा किया।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वह दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर पदयात्रा में भाग लेंगे। पार्टी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देश भर में पदयात्रा निकालने की योजना बनाई है।

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि राहुल विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए प्रचार करेंगे।

2017 में जब राहुल ने पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला था, तब उन्होंने कई युवा नेताओं की नियुक्ति की थी। उन्होंने युवा और छात्र निकायों में चुनाव की शुरुआत कर प्रयोग किए।

हालांकि, कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इससे संगठन बर्बाद हो गया है।

प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की यात्रा के दौरान कहा कि कई वरिष्ठ नेता संगठन में चुनाव प्रणाली के खिलाफ थे।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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