राम मंदिर निर्माण के लिए 3 माह में ट्रस्ट बनाए सरकार: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली | अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाए। सात दशक पुराने जमीन विवाद पर पांच जजों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए फैसल में शीर्ष अदालत ने मामले में एक पक्षकार रहे सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक तौर पर मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 16 अक्टूबर को इस विवादास्पद मुद्दे पर अपनी सुनवाई पूरी की थी। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर शामिल हैं।


शीर्ष न्यायालय ने 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को जमीन देना का निर्णय गलत था। अदालत ने कहा कि जमीन विवाद में मालिकाना हक केवल एक ही वैध पक्ष को दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन कहा कि भले ही उनका दावा खारिज हो गया, लेकिन ट्रस्ट के बोर्ड में निर्मोही अखाड़े को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।

अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा, “बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था।”


फैसले में यह भी कहा गया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि हिंदुओं की आस्था के अनुसार, राम का जन्म उसी जगह हुआ था, जिस जमीन के लिए विवाद चल रहा था।

अदालत ने यह भी कहा कि इस बात के भी सबूत हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई का पूजन फिरंगियों के भारत आने से पहले से होता आ रहा था।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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