राममंदिर ट्रस्ट में चंद्रकांत सोमपुरा भी हो सकते हैं शामिल

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नई दिल्ली, 6 फरवरी (आईएएनएस)| श्रीराम जन्मभूमि मंदिर तीर्थ ट्रस्ट में आर्किटेक्ट विशेषज्ञ के रूप में गुजरात के चंद्रकांत भाई सोमपुरा को शामिल किया जा सकता है। सोमपुरा वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 33 साल पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के लिए राममंदिर का मॉडल तैयार किया था। इन्हीं के नेतृत्व में अयोध्या में न्यास के पास काम भी चल रहा है। गौरतलब है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में दो लोगों की नियुक्ति ट्रस्ट को करनी है, जिनमें से एक आर्किटेक्ट होंगे और दूसरा ट्रस्ट का कामकाज अध्यक्ष के. परासरन की देखरेख में देखेंगे।

विहिप ने 30 साल पहले गुजरात के आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा से राममंदिर का मॉडल बनवाया था। विहिप ने बुधवार को ही दावा किया था कि मंदिर निर्माण के लिए 60 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और 2024-25 तक मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।


सूत्रों के मुताबिक, विहिप के मॉडल के अनुसार ही राममंदिर का निर्माण होगा, ऐसे में चंद्रकांत सोमपुरा ही मंदिर निर्माण का कामकाज कराएंगे।

ध्यान रहे कि चंद्रकांत के दादा ने ही गुजरात में सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था। सोमपुरा परिवार पीढ़ियों से मंदिर निर्माण के काम में ही लगा हुआ है।

विहिप के मुताबिक, राममंदिर का डिजाइन छह बार तैयार किया गया था। 30 साल पहले विहिप के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल ने ही मंदिर का मॉडल बनाने के लिए सोमपुरा को कहा था। उसी वक्त मंदिर के मॉडल और पत्थर तराशने का काम शुरू हुआ था। मंदिर का डिजाइन तैयार करने में छह महीने लगे। छह बार अलग-अलग डिजाइन तैयार किए गए। इसके बाद सिंघल और उनकी टीम को नागर शैली से बना डिजाइन पसंद आया।


गौरतलब है कि भारत में मंदिर तीन शैलियों में ही बनते हैं। नागर, द्रविड़ और बैसर शैली। राम मंदिर नागर शैली में बनाया जाएगा। यह उत्तर भारत में प्रचलित है। इस शैली के मंदिरों की विशेषता है कि यह आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते हैं। राममंदिर का डिजाइन खास है। इसकी परिक्रमा वृत्ताकार होगी, जबकि गर्भगृह अष्टकोणीय होगा। दो मंजिला मंदिर में भूतल पर मंदिर और ऊपरी मंजिल पर रामदरबार होगा। इसके खंबों पर देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी जाएंगी।

राममंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। विहिप के मॉडल के मुताबिक, मंदिर की चौड़ाई 150 फीट, लंबाई 270 फीट और गुंबद की ऊंचाई 270 फीट होगी।

विहिप सूत्रों के मुताबिक, मंदिर के गर्भगृह में पूजा होगी और फिर निर्माण काम शुरू हो जाएगा। विहिप ने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण का शिलान्यास कार्यक्रम नवंबर 1989 में हो चुका है। ऐसे में इस बार शिलान्यास कार्यक्रम नही होगा। राममंदिर आंदोलन में मारे गए लोगों की याद में एक ढांचा भी बनाए जाने की योजना है। इस पर ट्रस्ट के सदस्य विचार करेंगे।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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