वोटिंग से 24 घंटे पहले चौतरफा घिरी BJP, राफेल से लेकर NaMo TV सब पर लगा झटका

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लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब महज कुछ घंटों का समय ही बचा हैं। हर बार की तरह इस बार भी दलों में आपसी आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। चुनाव आयोग के सामने आचार संहिता उल्लंघन के अनेक मामले आए लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार को कई झटके लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी को चुनाव आयोग ने कई मामलों में जवाब मांगा है तो वहीं मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। आइए नजर डालते हैं उन सभी ममलों पर फिलहाल जिन पर बीजेपी घिरती नजर आ रही है।

1.    NaMo TV पर होने वाले खर्च की जानकारी

चुनावों के ठीक कुछ दिन पहले आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर बने NaMo TV पर चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है। NaMo TV पर विपक्ष पहले ही भारतीय जनता पार्टी को घेरता आ रहा है, क्योंकि इसके प्रसारण के लिए किसी की इजाजत नहीं ली गई थी। अब आयोग ने इसे एक राजनीतिक विज्ञापन माना है और भारतीय जनता पार्टी से इस पर होने वाले खर्च की जानकारी देनी की बात कही है। इतना ही नहीं इस चैनल पर चलने वाले सभी विज्ञापनों को पहले चुनाव आयोग की कमेटी को दिखाना होगा।


2.    दूरदर्शन से चुनाव आयोग ने मांगा जवाब

भारत के लोक सेवा प्रसारक दूरदर्शन ने 31 मार्च को भारतीय जनता पार्टी के ‘मैं भी चौकीदार’ कैंपेन को लाइव दिखाया था। इस पर आयोग ने उससे जवाब मांगा है। दूरदर्शन ने मैं भी चौकीदार कार्यक्रम को करीब 85 मिनट के लिए लाइव दिखाया था। चुनाव आयोग ने कहा है कि सरकारी चैनल को सभी पार्टियों को समान एयरटाइम कवरेज देना चाहिए।

3.   जांच एजेंसियों को  छापेमारी से पहले इजाजत लेनी होगी

आयकर विभाग की छापेमारी चुनावी मुद्दा बन गई है। कांग्रेस नेताओं के करीबियों पर छापेमारी को लेकर चुनाव आयोग ने जांच एजेंसियों से कहा है कि वह इस तरह की छापेमारी से पहले हमसे इजाजत लें। मध्य प्रदेश में हुई छापेमारी की जानकारी भी EC को नहीं थी। बता दें कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है।

4.   राफेल पर फिर गरमाया मुद्दा

राफेल विमान सौदा बीजेपी के गले की फांस बन गया है। इस मामले में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस पहले ही केंद्र सरकार को घेर रही थी। मामला अदालत तक पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को राहत दी थी, लेकिन इस पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। ये याचिका एक अखबार में छपे कुछ दस्तावेजों के आधार पर दाखिल की गई थी, जिसे अब अदालत ने स्वीकार कर लिया है। यानी राफेल पर एक बार फिर पूरी तरह से कार्रवाई हुई थी। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार पर कम दस्तावेज देने का आरोप लगा था।


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