राजस्थान: मजदूर के बेटे ने 12वीं में हासिल किए 99.2 फीसदी मार्क्स, IAS अधिकारी बनने की जताई ख्वाहिश

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Rajasthan labourer’s son scores 99.2% in 12th class wants to become a civil servant

राजस्थान बोर्ड 12वीं आर्ट्स परीक्षा में 99.20 फीसदी अंक प्राप्त हासलि कर राज्य में दूसरा स्थान हासिल करने वाले प्रकाश फुलवारिया ने अपनी मेहनत के बलबूते अपने पूरे परिवार का नाम रोशन किया है। प्रकाश को उनकी कामयाबी पर हर कोई बधाई दे रहा है इसके बावजूद भी उनके चेहरे पर सभी पांचों विषयों में पूरे 100-100 अंक आने निराशा भी साफ देखी जा सकती थी।

बाड़मेर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल लौहारवा के विद्यार्थी प्रकाश के हिन्दी और इतिहास में पूरे 100-100, हिन्दी लिटरेचर और इंग्लिश में 99-99 और राजनीति विज्ञान में 98 मार्क्स हैं। लेकिन मंगलवार को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा नतीजे घोषित किए जाने के बाद से ही वह इस बात पर आत्ममंथन करने में लगे हुए हैं आखिर किस वजह से उनके चार अंक काटे गए हैं।


उन्होंने कहा, ‘मैंने कड़ी मेहनत की थी। मुझे सभी विषयों में पूरे 100-100 अंक आने की उम्मीद थी।’प्रकाश के पिता चनणाराम कमठा मजदूर हैं। कुछ समय पहले लकवा होने से वह बिस्तर पर हैं। ऐसे में परिवार का भरण-पोषण काफी मुश्किल हो पाता है। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर है।

लौहारवा गांव के निवासी प्रकाश ने कहा, ‘मैं आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं, अपने लिए नहीं, बल्कि उनके लिए जिन्हें मेरी तरह पढ़ाई करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।’प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल करने वाले प्रकाश के इस मुकाम में हर सीढ़ी पर संघर्ष, मेहनत और उनका हौंसला नजर आता है।

दसवीं में प्रकाश जहां प्रकाश 7 घंटे पढ़ाई करता था,बारहवीं मे  उसने इसे 8 से 9 घंटे तक बढ़ा दिया। उसके सामने हमेशा अपने मजदूर पिता का चेहरा रहा जो प्रतिदिन अपने बेटे की पढ़ाई को ही अपना असली धन मानकर मेहनत किए जा रहे थे। टीवी,मोबाइल और अन्य तमाम गैरजरूरी आदतों से परे रहकर प्रकाश ने केवल पढ़ाई को अपना पहला लक्ष्य बनाया।


जब मंगलवार को नतीजा जारी हुआ तो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लोहारवा के छात्र प्रकाश फुलवारिया ने 99.20 प्रतिशत अंक हासिल कर राजस्थान में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया। महज 04 अंक जिस छात्र के कटे है उसका जीवन गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आता है। इन मुश्किल परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई को इस जज्बे के साथ जारी रखना कोई आसान काम नहीं है।

प्रकाश की मां संतोष देवी गृहिणी है,जो मजदूरी से मिले रुपयों में अपने पांच बेटे-बेटियों का लालन-पालन करती है। उनका कहना है कि यह प्रकाश की मेहनत है। बहुत पढ़ता है और इसका दिमाग तेज है। प्रकाश के राजस्थान में 12वीं कला वर्ग में दूसरा स्थान प्राप्त करने की जानकारी मिलने पर मजदूर पिता का चेहरा खिल उठा ।

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