अयोध्या मसले पर मध्यस्थता कमेटी- जानें कौन-कौन हैं इस कमेटी के सदस्य

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Babri Masjid Demolition Case Verdict

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज शुक्रवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में बड़ा फैसला लेते हुए मध्यस्थता का आदेश दिया है और इस तरह कोर्ट ने आपसी समझौते के ज़रिये हल निकालने का रास्ता साफ किया है।

कोर्ट ने अयोध्या के बाबरी मस्जिद-राममंदिर विवाद को सुलझाने के लिए तीन मध्यस्थों के नाम तय किए हैं। इन नामों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर और सीनियर अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल हैं। तीन सदस्यों के इस पैनल के सामने दोनों पक्षकार अपनी बात रखेंगे और ये मध्यस्थता फैजाबाद में होगी। जानें इन 3 सदस्यों के बारे में..


फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के लिए बनी कमेटी की अध्यक्षता पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला करेंगे। जबकि श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू इसके सदस्य होंगे। इस कमेटी के सामने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकार अपनी बातें रखेंगे। इसके बाद ये कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी।

पूर्व जस्टिस फकीर मुहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले हैं। खलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ था। उन्होंने 20 अगस्त 1975 को अपने वकालत करियर की शुरुआत की। वह श्रम कानून से संबंधित मामलों में सक्रिय वकील रहे थे। कलीफुल्ला को पहले मद्रास हाईकोर्ट में स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें 2000 में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के तौर नियुक्त किया गया और 2011 को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।


श्रीराम पंचू

अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए बनी कमेटी के तीसरे सदस्य हैं श्रीराम पंचू। श्रीराम पंचू वरिष्ठ वकील हैं। श्रीराम पंचू मध्यस्थता के जरिए केस सुलझाने में माहिर रहे हैं। उन्होंने मध्यस्थता कर केस सुलझाने के लिए द मीडिएशन चैंबर नाम की एक कानूनी संस्था भी गठित की है। इस संस्था का काम ही आपसी सुलह के जरिए कोर्ट से बाहर मुद्दों को सुलझाना है।

श्रीराम पंचू एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष हैं। वह बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल मीडिएशन इंस्टीट्यूट के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं। भारत की न्याय व्यवस्था में मध्यस्थता को शामिल करने में उनका अहम योगदान रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीराम पंचू को विशिष्ट मध्यस्थ और देश के सबसे पुराने मध्यस्थों में से एक बताया है। श्रीराम पंचू देश के कई जटिल और वीवीआईपी मामलों में मध्यस्थता कर चुके हैं। इनमें कमर्शियल, कॉरपोरेट, कॉन्ट्रैक्ट के मामले जुड़े हैं।

असम और नागालैंड के बीच 500 किलोमीटर भूभाग का मामला सुलझाने के लिए उन्हें मध्यस्थ नियुक्त किया था। इसके अलावा बंबई में पारसी समुदाय के मामले का निपटारा करने में भी वह मध्यस्थ रह चुके हैं।

श्री श्री रविशंकर

आर्ट्स ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर देश के प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं। इससे पहले भी उन्होंने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश की थी, इसके लिए वह अयोध्या भी गए थे और पक्षकारों से मुलाकात की थी। श्री श्री रविशंकर इससे पहले भी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और उन्होंने इस मसले को सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला भी पेश किया था। श्री श्री रविशंकर का नाम जैसे ही मध्यस्थ के रूप में सामने आया तो कई पक्षों और बड़े साधु-संतों ने उनका विरोध किया है।


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