Ram Navami 2020: भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं राम, इस बार रामनवमी क्यों है खास, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त

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Ram Navami 2020: भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं राम, इस बार रामनवमी क्यों है खास, जानिए पूजा के शुभ मुहूर्त

Ram Navami 2020: भगवान राम के जन्मदिन के रूप में रामनवमी (Ram Navami) का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है। उनका जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में और कर्क लग्न में अयोध्या में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या की कोख से हुआ था। इस बार यह तिथि 2 अप्रैल दिन गुरुवार को है। ग्रहों की दशा के अनुसार, भगवान राम ने मेष राशि में जन्म लिया, जिस पर सूर्य एवं अन्य पांच ग्रहों की शुभ दृष्टि पड़ रही थी। रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना आरंभ की थी।

आइए जानते हैं क्‍‍‍‍‍‍यों मनाई जाती है राम नवमी

राम नवमी (Ram Navami) का संबंध भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिये हर युग में अवतार धारण किए। इन्हीं में एक अवतार उन्होंने भगवान श्री राम के रुप में लिया था। जिस दिन भगवान श्री हरि ने राम के रूप में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया वह दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी का दिन था। यही कारण है कि इस तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का भी यह अंतिम दिन होता है।


श्री राम का जन्म

पौराणिक ग्रंथों में जो कथाएं हैं उनके अनुसार भगवान राम त्रेता युग में अवतरित हुए। उनके जन्म का एकमात्र उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना, मानव समाज के लिए एक आदर्श पुरुष की मिसाल पेश करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था। शास्त्रों के अनुसार, लंकापति रावण के अत्याचारों को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने जन्म लिया था। भगवान राम विष्णुजी के सातवें अवतार हैं। इसलिए इस दिन लोग भगवान राम के जन्म की खुशियां मनाते हैं। रामनवमी का त्योहार के दिन है नवरात्र का समापन होता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की थी।

भगवान राम का जन्म राजा दशरथ के घर हुआ था, जो एक चक्रवर्ती सम्राट थे और उनका प्रताप 10 दिशाओं में व्याप्त रहा। उन्होंने तीन विवाह किए थे लेकिन किसी भी रानी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऋषि मुनियों से जब इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के पश्चात यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया।

कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा केकैयी को दिया इसके पश्चात कौशल्या और केकैयी ने अपने हिस्से से आधा-आधा हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इसीलिए चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम जन्मे। केकैयी से भरत ने जन्म लिया तो सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।


मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति

रामनवमी के दिन असंख्य लोग रामनाम का स्मरण करते हुए व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के रखने से उपवासक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत के विषय में अगस्त्य संहिता में कहा गया है…

चैत्रशुक्ला तु नवमी, पुनर्वसुयुता यदि, सैव मध्याह्नयोगेन, महापुण्यतमा भवेद्। पुनर्वसुसमायुक्ता, सा तिथि: सवर्कामदा।।
अर्थात् चैत्र शुक्ल नवमी यदि पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त हो और मध्याह्न में भी वही योग हो तो वह परम पुण्यप्रदान करने वाली होती है।

रामनवमी पर्व सनातन परंपरा का बड़ा उत्सव है। इस दिन भगवान राम की उपासना के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। भक्तों के द्वारा व्रत रखा जाता है। श्री राम का जन्मोत्सव देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम की भक्ति में डूबकर भजन कीर्तन किए जाते हैं। श्री रामकथा सुनी जाती है। रामचरित मानस का पाठ करवाया जाता है। श्री राम स्त्रोत का पाठ किया जाता है। कई जगहों भर भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया जाता है। रामनवमी को उपवास भी रखा जाता है। मान्यता है कि रामनवमी का उपवास रखने से सुख समृद्धि आती है और पाप नष्ट होते हैं।

राम नवमी पूजा मुहूर्त

इस वर्ष राम नवमी इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह गुरुवार के दिन पड़ी है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और भगवान श्री राम विष्णु के अवतार हैं। इस साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 02 अप्रैल 2020 दिन गुरुवार को प्रात:काल 03 बजकर 40 मिनट से हो रहा है, जो 03 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार को प्रात:काल 02 बजकर 43 मिनट तक है। इस दिन राम नवमी मध्याह्न का मुहूर्त 02 घंटे 30 मिनट का बन रहा है। आज के दिन आप सुबह 11 बजकर 10 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक भगवान श्री राम का जन्मोत्सव शुभ मुहूर्त में मना सकते हैं।


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