भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए नियम ATM चलाने वाली कंपनियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ATM चलाने की लागत बढ़ने और RBI के नए नियमों के कारण ATM चलाने में कंपनियों को कोई मार्जिन नहीं बच रहा है। इस स्थिति से उबरने के लिए कंपनियां सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ATM से लेनदेन पर लगने वाले चार्ज को बढ़ाने की राय दे रहे हैं। कंपनियों का दावा है कि अगर यह चार्ज नहीं बढ़ाया गया तो 1 मार्च से देश भर में आधे से ज्यादा ATM उन्हें बंद करने पड़ेंगे। इससे देश में एक बार फिर नोटबंदी जैसा हाल हो सकता है जब लोगों को कैश निकालने के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा था।
RBI ने बदल दिए हैं नियम
RBI ने ATM में लगने वाले कैसेट्स (जिनमें नोट रखे जाते हैं) की संख्या को डबल कर दिया है। कैश ले जाने वाले वैन में आर्म्ड गार्ड रखने के लिए कहा गया है। ATM में साइबर सिक्योरिटी को पहले से और पुख्ता करने के लिए कहा गया है।
नए नियम ने बढ़ाई परेशानी
ज्यादातर सभी बैंक 80 से 90 फीसदी ATM सर्विस को आउटसोर्स करते है। ATM की इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से जुड़ी कंपनी सिक्योरन्स सिस्टम के प्रबंध निदेशक सुनील उडुपा ने बताया कि RBI के नए नियमों से ATM चलाने की लागत और बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि अभी वैन में कैश के साथ कैसेट्स भी जाते हैं। अगर एक वैन 10 एटीएम के लिए कैश लेकर जाती है तो उसके पास इतनी जगह नहीं होती की वह दोगुनी संख्या में कैसेट्स लेकर जाए। दूसरा, सामान्य गार्ड की तुलना में आर्म्ड गार्ड लेकर जाने से खर्च दोगुना हो जाता है क्योंकि उसका वेतन ज्यादा होता है।
एटीएम चलाने की बढ़ी लगात
एटीएम कंपनियों के मुताबिक मुंबई जैसी प्राइम लोकेशन में एटीएम का किराया 40,000 रुपए पड़ता है। छोटे शहरों में भी एटीएम साइट का किराया 8,000 से 15,000 रुपए तक पड़ता है। इसमें सिक्योरिटी स्टाफ का वेतन, मेंटनेंस चार्ज और बिजली खर्च मिलाकर एटीएम चलाना काफी महंगा पड़ रहा है। एटीएम की सुरक्षा एक बड़ी परेशानी भी बन रही है जिस पर बैंक की तरफ से कोई खास काम नहीं किया जा रहा है।
बंद हो सकते हैं आधे एटीएम
अभी देश में करीब 2.40 लाख एटीएम हैं और इनमें से 50 से 60 फीसदी एटीएम बंद हो सकते हैं क्योंकि इनको चलाने में घाटा हो रहा है। ऐसे में छोटे और बड़े शहरों में एटीएम के बंद होने से कैश की किल्लत आ सकती है। एक बार फिर देश में नोटबंदी जैसा हालात पैदा हो सकते हैं। लोगों को कैश निकालने के लिए लंबी लाइनों जैसे हालात एक बार फिर देखने पड़ सकते हैं।
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