जन्मदिन विशेष: भारतीयों की आजादी के लिए लड़ने वाले ब्रिटिश अधिकारी ए. ओ. ह्यूम

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जन्मदिन विशेष: भारतीयों की आजादी के लिए लड़ने वाले ब्रिटिश अधिकारी ए. ओ. ह्यूम

ए ओ ह्यूम का पूरा नाम एलेन ओक्टेवियन ह्यूम था। वे ब्रिटिशकालीन भारत में सिविल सेवा के अधिकारी एवं राजनैतिक सुधारक थे। उन्होंने ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी।

ह्यूम का जन्म 4 जून 1829 को इंग्लैंड में हुआ था। वो अंग्रजी शासन की सबसे प्रतिष्ठित ‘बंगाल सिविल सेवा’ में पास होकर साल 1849 में ब्रिटिश सरकार के एक अधिकारी बने। 1857 में गदर के वक्त वो इटावा के कलेक्टर थे।


ए ओ ह्यूम ने खुद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई और 1882 में पद से अवकाश ले लिया और कांग्रेस यूनियन का गठन किया। उन्हीं की अगुआई में बॉम्बे में पार्टी की पहली बैठक हुई थी। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों को एक मर्मस्पर्शी पत्र भी लिखा था, जिसका कुछ अंश इस प्रकार है-

“बिखरे हुए व्यक्ति कितने ही बुद्धिमान तथा अच्छे आशय वाले क्यों न हों, अकेले तो शक्तिहीन ही होते हैं। आवश्यकता है संघ की, संगठन की और कार्यवाही के लिए एक निश्चित और स्पष्ट प्रणाली की। आपके कन्धों पर रखा हुआ जुआ, तब तक विद्यमान रहेगा, जब तक आप इस ध्रुव सत्य को समझ कर इसके अनुसार कार्य करने को उद्यत न होंगें कि आत्म बलिदान और निःस्वार्थ कर्म ही स्थायी सुख और स्वतन्त्रता का अचूक मार्गदर्शन है।”

उनके इस पत्र का काफी असर हुआ। 27 दिसम्बर 1885 को भारत के भिन्न-भिन्न भागों से भारतीय नेता बंबई पहुँचे और दूसरे दिन सम्मेलन आरंभ हुआ। इस सम्मेलन का सारा प्रबंध ह्यूम ने किया था। इस प्रथम सम्मेलन के सभापति व्योमेशचंद्र बनर्जी बनाए गए थे जो बड़े योग्य तथा प्रतिष्ठित बंगाली क्रिश्चियन वकील थे। यह सम्मेलन “इंडियन नेशनल कांग्रेस” के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अंग्रेजों और भारतीयों के बीच कड़ी की तरह काम किया


ह्यूम के मित्रों में दादा भाई नौरोजी, सर सुरेंद्रनाथ बनर्जी, सर फीरोज शाह मेहता, गोपाल कृष्ण गोखले, व्योमेशचंद्र बनर्जी, बालगंगाधर तिलक आदि थे। माना जाता है कि ए ओ ह्यूम ने अंग्रेजों और भारतीयों के बीच एक कड़ी की तरह से भी काम किया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाने के लिए डटे रहे। वह अंग्रेजी सरकार को यह समझाने में कामयाब रहे कि भारतीय योग्य हैं और उन्हें भी अंग्रेजों की तरह अधिकार मिलने चाहिए।

31 जुलाई 1912 में उनकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने ह्यूम को अपना ‘जन्मदाता और संस्थापक’ घोषित किया था।

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