कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय नागपुर पहुंचे। ये पहला मौका है जब बीजेपी ज्वाइन करने बाद सिंधिया पहली बार संघ कार्यालय पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिंधिया सबसे पहले संघ के संस्थापक हेडगेवार के निवास स्थान पर गए।
इसके बाद वे रेशमबाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर पहुंचे। हेडगेवार स्मृति मंदिर आरएसएस के सर संघ चालक डॉ बलिराम केशव हेडगेवार और गुरु गोलवलकर का समाधि स्थल है। यहां आकर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक निवास स्थान नहीं बल्कि प्रेरणा स्थल है, यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। यहां आकर इंसान को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरणा मिलती है।
कहा जाता है कि नागपुर संघ के गढ़ में शीश झुकाए हुए बिना किसी भी नेता का बीजेपी में आना पूरा नहीं होता। सिंधिया का नागपुर जाना और हेगड़ेवार समेत संघ के नेताओं की प्रशंसा करना इस बात का पुख्ता सबूत है कि उन्होंने बीजेपी (BJP) को मन मस्तिष्क में बिठाने का भरपूर प्रयास किया है।
आपको बता दें कि सिंधिया की दादी मां यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का संघ से पुराना रिश्ता रहा है। संघ उनके इस योगदान को हमेशा याद भी करता रहा है। लेकिन माधवराव सिंधिया का कांग्रेस से जुड़ाव और अब उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक अरसे बाद लौटने का मतलब ये है कि वो अपनी जड़ों की तरफ लौटने का प्रयास है।
सिंधिया नागपुर में एक दिन के दौरे पर हैं। यहां जब उनसे कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर जारी विवाद पर प्रश्न हुआ तो उन्होंने कि, मैं अभी भारतीयत जनता पार्टी का कार्यकर्ता हूं और किसी दूसरी राजनितिक पार्टी के अंदरूनी मसले पर बोलना मेरे हिसाब से ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी तब भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर कई सवाल उठे थे और तब राहुल गांधी ने कहा था कि सिंधिया इकलौते ऐसे कांग्रेसी नेता थे जो उनके घर में किसी भी वक़्त बेरोकटोक आ जा सकते थे। इसी साल 11 मार्च को सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।