सेना प्रमुख नरवने के नेपाल दौरे में तनावपूर्ण संबंध सुधारने पर रहेगा जोर

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नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस) महाकाली नदी पर अधर में लटकी पंचेश्वर बांध परियोजना नेपाल के तीन दिवसीय दौरे पर जाने वाले सैन्य प्रमुख मनोज मुकुंद नरवने के शीर्ष एजेंडे में शामिल रहेगी।

यह परियोजना देश के लिए काफी अहम है, जो महाकाली नदी पर प्रस्तावित है, जो कि नेपाल से सटे लिपुलेख और सैन्य एवं चिकित्सा को-ऑपरेशन के पास कालापानी क्षेत्र से निकलती है।


जनरल नरवने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से मुलाकात करेंगे।

सेनाध्यक्ष नरवने ने अपनी नेपाल यात्रा को लेकर एक बयान में कहा कि उन्हें इस तरह के निमंत्रण पर नेपाल जाने और अपने समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मिलने की खुशी है।

उन्होंने अपने इस दौरे से दोनों देशों की सेनाओं के बीच बंधुता और मित्रता को मजबूत मिलने का भी भरोसा जताया है और साथ ही नेपाली प्रधानमंत्री का आभार भी जताया है।


सैन्य प्रमुख ने कहा, मुझे यकीन है कि यह यात्रा दोस्ती के बंधन को मजबूत करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगी, जो दो सेनाओं को पोषित करती है।

उन्होंने यह भी कहा कि वह उन्हें बुलाने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री के आभारी हैं।

प्रमुख ने कहा, नेपाल के राष्ट्रपति द्वारा नेपाली सेना के जनरल के मानद रैंक से सम्मानित किया जाना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है। मैं इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।

सेना प्रमुख की नेपाल यात्रा एक पारंपरिक समारोह का हिस्सा है, जहां उन्हें नेपाली सेना में जनरल की मानद रैंक प्रदान की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत-नेपाल संबंधों में यह एक महत्वपूर्ण सफलता हो सकती है।

दरअसल, 1950 में शुरू हुई पुरानी परंपरा को जारी रखते हुए काठमांडू में एक समारोह में नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा जनरल नरवने को जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी की मानद रैंक से सम्मानित किया जाएगा। भारत भी नेपाल के सेना प्रमुख को भारतीय सेना के जनरल की मानद रैंक देता है।

अपनी इस यात्रा के दौरान नरवने दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों को आगे बढ़ाने के अलावा शहीद स्मारक वीर स्मारक में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

जनरल नारवने इस दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वेंटिलेटर सहित चिकित्सा उपकरण भी सौंपेंगे।

वह शिवपुरी में नेपाली सेना के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलेंगे और बातचीत करेंगे।

चीन द्वारा नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने के बाद हाल ही में दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं और यही वजह है कि वर्तमान परिस्थतियों में सेना प्रमुख का नेपाल दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

दरअसल, 17,000 फीट पर लिपुलेख क्षेत्र में भारत की ओर से किए जा रहे सड़क निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच एक कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था, क्योंकि काठमांडू ने इस क्षेत्र को अपना क्षेत्र होने का दावा किया था। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करने के लिए सड़क का निर्माण किया गया।

लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच एक त्रि-जंक्शन है, जो उत्तराखंड में कालापानी घाटी में स्थित है। इसके बाद, नेपाल ने इस क्षेत्र को अपना दिखाते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र पेश किया। भारत ने नेपाल के इस नए नक्शे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ऐतिहासिक तथ्यों या सबूतों पर आधारित नहीं है।

संबंध और मजबूत करने के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने पिछले महीने काठमांडू का दौरा किया, जहां उन्होंने नेपाली प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की।

–आईएएनएस

एकेके/एसजीके

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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