शारीरिक शिक्षकों, खेल प्रशिक्षकों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग सत्र शुरू

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नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में शारीरिक शिक्षा और खेलों के उत्थान के लिए निरंतर कार्य कर रही संस्था फिजिकल एजुकेशन फांउडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) ने भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से देशभर के शारीरिक शिक्षकों, खेल प्रशिक्षकों के लिए 2 नवंबर से ऑनलाइन ट्रेंड द ट्रेनर कार्यक्रम की शुरूआत कर दी है।

कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि के तौर पर अरूण यादव निदेशक खेल और युवा मंत्रालय भारत सरकार ने शिरकत की।


अरूण यादव ने कहा कि, खेल और युवा मंत्रालय भारत सरकार खेल और खिलाड़ियों के बेहतर विकास के लिया सदैव प्रयासरत है। भारत को खेल महाशक्ति बनाने के लिए हर संभव प्रयास खेल और युवा मंत्रालय कर रहा है। हमे जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को अच्छे शिक्षण और प्रशिक्षण देने की जरूरत है इस काम में पेफी जैसी संस्थाएं बहुत ही सराहनीय काम कर रही हैं।

कार्यक्रम के शुरूआती सेशन में हॉकी के द्रोणाचार्य अवार्डी ए.के. बंसल जी ने ट्रेनिंग सेशन इन ग्राउंड विषय पर शारीरिक शिक्षक और खेल प्रशिक्षक कैसे अपनी शुरूआत करें पर अपनी जानकारी साझा की।

बंसल ने कहा कि, मैदान पर शारीरिक शिक्षक को अपनी खेल गतिविधि को सिखाने से पहले पाठ योजना बनानी चाहिए। प्रशिक्षक को ट्रेनिंग प्लान के बारे में क्लीयर होना चाहिए। प्रशिक्षक को प्रशिक्षु की उम्र देख कर पाठ योजना बनाई जानी चाहिए। खेल प्रशिक्षण शुरू करने से पहले प्रशिक्षक को प्रशिक्षण से पूर्व मैदान पर सारी तैयारी करके रखनी चाहिए। उदाहरण के लिए अगर हम बच्चों को हाकी सिखाने मैदान पर लाए हैं तो पहले उन्हे हाकी पकड़ने की तकनीक सिखाएंगे।


बंसल ने कहा, फिर उन्हें हम डेमो देकर दिखाएंगे। प्रशिक्षक के लिए किसी खेल एक्टिविटी का डेमो देना अनिवार्य है, जब तक प्रशिक्षक स्किल का डेमो नहीं देगा तब तक प्रशिक्षु को समझ नहीं आएगा। डेमो देने के पश्चात क्रिया को बच्चो से प्रशिक्षक करने को कहेगा और उनकी गलतियों को ठीक करेगा।

बंसल ने कहा कि मैदान पर खेल प्रशिक्षक के लिए डेमोस्ट्रेशन, प्रजेंटेशन तकनीक और आब्जरवेशन बहुत जरूरी है। यह खेल प्रशिक्षण का बुनियादी तत्व है। प्रशिक्षक को स्किल सिखाते समय बच्चे पर पैनी नजर रखनी होती है। अगर बच्चा स्किल गलत कर रहा है तो उसको ठीक करना प्रशिक्षक की जिम्मेदारी है। अगर शुरूआती दौर में बच्चे की स्किल पर नजर नहीं रखेंगे तो गलत स्किल उसकी आदत में शुमार हो जाएगी। जिसका उसके खेल पर फर्क नजर आएगा।

प्रशिक्षक खेल क्रिया का जितना अधिक अभ्यास बच्चों को कराएगा उतना अच्छा परिणाम उसको मिलेगा। श्री बंसल ने कहा कि प्रशिक्षकों को प्लान, प्रजेंटेशन,असेसमेंट, पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा प्रशिक्षक का समय समय पर बच्चों को मोटीवेट करना बहुत अहम कार्य है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एलएनआईपीई ग्वालियर के पूर्व डीन डा. ए.के. उप्पल ने ट्रेनिंग अडेप्शन इन स्पोर्ट्स परफॉर्मेस विषय पर व्याख्यान दिया।

उन्होंने खेल प्रशिक्षण में प्रशिक्षण भार से अधिक भार का अनुकूलन और हानिकारक परिणाम के बारे में खेल प्रशिक्षकों को अवगत कराते हुए कहा कि किसी भी खेल गतिविधि में ट्रेनिंग लोड को बैलेंस करने की जरूरत है।

उप्पल ने कहा, एक बेहतर प्रशिक्षक को ट्रेनिंग के मूल तत्व का पता होना बहुत जरूरी है। खेल प्रशिक्षक को खेल विज्ञान के बारे पता होना जरूरी है। जबतक प्रशिक्षक को इसका ज्ञान नहीं होगा वह प्रशिक्षण के क्षेत्र में बेहतर नहीं कर सकता है। आज के वैज्ञानिक युग में खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए टीमों के साथ मनोवैज्ञानिक, व्यायाम विशेषज्ञ, डाइटीशियन आदि का रोल अहम हो जाता है। इसलिए एक प्रशिक्षक का बुनियादी तौर पर इन चीजों का ज्ञान होना चाहिए।

ट्रेंड द ट्रेनर कार्यक्रम के बारे में बताते हुए पेफी के राष्ट्रीय सचिव पीयूष जैन ने बताया कि कोरोना की वजह से पिछले सात महीने से खेल प्रशिक्षण और शिक्षण गतिविधियां बंद हैं पेफी विगत सात महीने से निरंतर आनलाइन शिक्षण प्रशिक्षण खेल प्रशिक्षकों, शारीरिक शिक्षकों को दे रहा है। इस कार्यक्रम के जरिए हमारी कोशिश है कि हम खेल प्रशिक्षकों ,शारीरिक शिक्षकों को बेहतर शिक्षण उपलब्ध कराएं।

जैन ने कहा कि ऑनलाइन ट्रेंड द ट्रेनर कार्यक्रम 2 नवंबर से 11 नवंबर तक दो सत्रों में रोजाना आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में देश के दिग्गज खेल विशेषज्ञ और शारीरिक शिक्षाविद् खेल प्रशिक्षकों को जानकारी मुहैया कराएंगे।

–आईएएनएस

जेएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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