Shab-e-Qadr 2020: शब-ए- कद्र 2020 की तारीख कब है, जानें लैलतुल-क़द्र की अहमियत और पहचान

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Shab-e-Qadr 2020: शब-ए- कद्र 2020 की तारीख कब है, जानें लैलतुल-क़द्र की अहमियत और पहचान

Shab-e-Qadr 2020: रमजानुल मुबारक के तीसरा अशरा जुमेरात (14 मई) से शुरू हो गया है। रमजान के मुबारक महीने के आखिरी अशरे में 21, 23, 25, 27 व 29 रमजान की शब में किसी एक रात में शब-ए- कद्र की रात होती है। इस्लाम धर्म में इस रात को हजार रातों से बेहतर रात बताया गया है। बताते हैं कि शब-ए-कद्र की इबादत का कोई दूसरा सानी नहीं है। मुसलमानों का मानना है कि इस रात को कुरान को जन्नत से ज़मीन पर भेजा गया था। इस रात की सटीक तारीख अज्ञात है, लेकिन यह रमजान (21 वीं, 23 वीं, 25 वीं, 27 वीं, या 29 वीं) की आखिरी दस विषम रातों में से एक होती है।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, शब-ए-कद्र को लैलतुल-क़द्र के नाम से भी जाना जाता है। ये वह रात है जब पैगंबर मोहम्मद को कुरान की पहली आयतें बताई गई थीं। इस रात को, भगवान पापों को माफ कर देते हैं और सभी इच्छाओं को स्वीकार करते हैं। इस रात में खुदा ख़ुद बंदों से पूछता है कि है कोई मांफी का लतबगार, जिसे मैं माफ कर दूं। है कोई रिज्क का चाहने वाला, जिसका रिज्क दूं। बताया गया कि इस रात में मांगी गई बंदे की हर दुआ कुबूल होती है।


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जैसे रमजान के पूरे महीने का अन्य महीनों में विशेष स्थान होता है। इसी तरह, रमजान के आखिरी दस दिनों का पूरे महीने में विशेष स्थान होता है। इस्लामी विद्वान मौलाना मुहम्मद मुसव्विर आलम नदवी के अनुसार, इस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में से एक रमजान का उपवास भी शामिल है।

शब-ए-क़द्र की तारीख (Date of Shab-e-Qadr 2020) :

शब-ए-क़द्र की तारीख तय नहीं है क्योंकि यह रमज़ान के पवित्र महीने के आखिरी 10 दिनों में से एक विषम रात यानी 21 या 23 या 25 वें या 27 वें या 29 वें रात में आती है। इसीलिए 21 रमजान की शब से ही मोमिन इस रात की तलाश में जागकर इबादत करना शुरु कर देते हैं। इस बार शब-ए-कद्र की ताक रात गुरुवार 14 मई (21वीं रात), शनिवार 16 मई (23वीं रात), सोमवार 18 मई (25वीं रात), बुधवार 20 मई (27वीं रात) व शुक्रवार 22 मई (29वीं रात) को पड़ेगी।

शब-ए-क़द्र की अहमियत (Significance of Shab-e-Qadr) :

लैलतुल-क़द्र उस रात को माना जाता है जब पैगंबर मोहम्मद को कुरान की पहली आयतें बताई गई थीं। मुसलमानों का मानना है कि इस रात खुदा का आशीर्वाद और नेकी बरसती है। मोमिन विशेष प्रार्थना भी करते हैं और पूरी रात अल्लाह का आशीर्वाद और दया पाने के लिए कुरान का पाठ करते हैं।


Signs of Shab-e-Qadr:

जैसा कि हमने पहले ही बताया कि रमज़ान के महीने में शब-ए-क़दर की तारीख नहीं है। कुछ हदीसों में लैलतुल-क़द्र की घटना का संकेत देने वाले कुछ गाथाओं को सूचीबद्ध किया गया है। कहा जाता है कि शब-ए-क़द्र एक शांत और चमकीली रात होती है। इस रात तापमान न तो गर्म रहता है और न ही ठंडा और चाँद साफ़ चमकता है। या तो रात के दौरान या दिन के दौरान वर्षा होती है।

Shab-e-Qadr 2020: कब है शब-ए-कद्र? इस रात इबादत की खास अहमियत, घर बैठे कैसे मनाएं लैलातुल कद्र

रमजानुल मुबारक का तीसरा अशरा शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इस अशरे में एतकाफ का अमल किया जाता है। मर्द मस्जिदों में एतकाफ के लिए बैठते हैं। और महिलाएं घरों में एतकाफ पूरा करती हैं। ईद के चांद दिखने पर एतकाफ पूरा माना जाता है। एतकाफ में बैठना बहुत अच्छा माना जाता है। ओबरी जामा मस्जिद के इमाम सैयद रिजवान मियां कहते हैं कि एतकाफ में बैठकर अल्लाह की इबादत करने वालों के लिए जन्नत की बशारत हासिल होती है। गुनाहों से पाक हो जाते हैं।

हर एक मस्जिद में एतकाफ के लिए बैठना जरुरी है। बताया कि रमजान में नबी पाक ने पाबंदी के साथ एतकाफ किया। इसलिए इस अमल का बहुत ऊंचा दर्जा है। अल्लाह इंसान के सारे गुनाहों को माफ कर देते हैं और नेकियों में इजाफा होता है। एतकाफ में बैठने वाले को दो हज और एक उमरे का सवाब मिलता है।

क्या है एतकाफ

इसमें व्यक्ति मसजिद के एक कोने में पर्दा लगा अल्लाह की इबादत करता है। दस दिनों तक वह उठते, बैठते, खाते पीते और यहां तक कि सोते हुए भी 24 घंटे इबादत में मशगूल रहता है। एतकाफ में व्यक्ति कुरान पाक की तिलावत करता है, नफिल नमाजें अदा करता और तस्बीह पढ़ता है। किसी से मिलता-जुलता नहीं है। जो महिलाएं घरों में एतकाफ के लिए बैठती हैं उनको भी यही एहतियात बरतनी होती है।

Duas For the night of destiny (Lailat-ul-Qadr)

اَللَّهُمَّ اِنَّكَ عَفُوٌّ ، تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي

अल्लाहुम्मा इनाका `अफुवुन तुइहबुल` अफवा फा`फू `एनी

ऐ अल्लाह तू वो है जो सबको माफ़ करता है, और माफ़ करना पसंद करता है, इसलिए मुझे माफ़ कर

इब्न माजः 3850, एट-तिर्मिधि: 3513


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