शेयर, कंसल्टेंसी से करोड़ों की कमाई करते हैं राज्यसभा सदस्य

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नई दिल्ली, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सदस्यों को अक्सर ‘अनिर्वाचित’ कहा जाता है और राजनीतिक दलों पर राज्यसभा की सीटें बेचने के आरोप अनेक बार लगाए गए हैं। मगर मौजूदा चर्चा उनके वित्तीय पहलू को लेकर है।

देश में चुनाव पर नजर रखने खाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोकेट्रिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने राज्यसभा के 213 सदस्यों के वित्तीय हितों की समीक्षा की है जिससे यह पता चलता है उनकी पूछ इतनी अधिक क्यों होती है।


एडीआर की रिपोर्ट में पाया गया है कि 89 सांसदों (41.8 फीसदी) ने इस बाबत घोषणा की है कि उनके वित्तीय हित जिन श्रेणियों के तहत आते हैं उनके पारिश्रमिक वाले निदेशक के पद, नियमित वेतन वाले कार्यकलाप, नियंत्रण वाले शेयरधारण, ऐसी कंसल्टेंसी या पेशेवर सेवा जिसके लिए भुगतान किया जाता है, शामिल हैं।

रिपोर्ट में पाया गया है कि 124 सांसदों (58.2 फीसदी) ने इन पांच श्रेणियों के तहत वित्तीय हित के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है।

वहीं, 24 सांसदों (11.3 फीसदी) ने घोषणा की है कि उनके पास कंपनी के पारिश्रमिक वाले निदेशक के रूप में कुछ वित्तीय हित हैं।


कर्नाटक से जनता दल सेक्यूलर के डी. कुपेंद्र रेड्डी ने इस मामले में निदेशक के रूप में सबसे ज्यादा 40.68 करोड़ रुपये सालाना पारिश्रमिक प्राप्त करने की घोषणा की है, जबकि 7.03 करोड़ रुपये के साथ भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राजीव चंद्रशेखर दूसरे नंबर पर और 3.34 करोड़ रुपये के साथ अब्दुल वहाब (आईयूएमएल) तीसरे नंबर पर हैं और ये दोनों केरल से आते हैं।

नियमित वेतन वाले कार्यकलाप के रूप में वित्तीय हित की घोषणा 30 सांसदों (14.1 फीसदी) ने की है। इसमें सबसे ज्यादा कमाई करने वालों में झारखंड से भाजपा सांसद महेश पोद्दार 3.18 करोड़ रुपये सालाना के साथ शीर्ष पर हैं। उनके बाद इस मामले में भाजपा द्वारा ही मनोनीत मैरीकॉम की सालाना कमाई 2.50 करोड़ रुपये और स्वप्न दासगुप्ता की सालाना कमाई 66.60 लाख रुपये है।

कंपनी में शेयर से कमाई के रूप में वित्तीय हित की घोषणा 44 सांसदों (20.7 फीसदी) ने की है। बिहार से भाजपा सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा के शेयर का मूल्य सबसे ज्यादा 747 करोड़ रुपये है। उनके बाद कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के शेयर का मूल्य 386 करोड़ रुपये और निर्दलीय सांसद काकडे संजय दत्तात्रेय के शेयर का मूल्य 262 करोड़ रुपये है।

कंसल्टेंसी से कमाई करने की घोषणा सिर्फ दो सांसदों ने की है, जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी. एस. तुलसी की कमाई 27.50 लाख रुपये और विकास हरिभाऊ महात्मे की 5.60 लाख रुपये है।

राज्यसभा के करीब 40 सदस्यों (18.8 फीसदी) ने घोषणा की है कि पेशवर कार्यो से वे धन अर्जित करते हैं। इनमें अभिषेक मनुसिंघवी द्वारा प्राप्त सबसे ज्यादा रकम (फीस) 177 करोड़ रुपये है और उनके बाद चिंदबरम और तुलसी का स्थान है।

रोचक तथ्य यह है कि उच्च सदन के करीब 104 सदस्यों की कुल संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है जबकि उन्होंने अपनी घोषणाओं में किसी प्रकार के वित्तीय हित के संबंध में जिक्र नहीं किया है।

सबसे अधिक संपत्ति वाले चार सांसदों में कांग्रेस के टी. सुब्रामी रेड्डी 422.44 करोड़ रुपये के साथ शीर्ष पर जबकि तेदेपा के सी. एम. रमेश 258.20 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर हैं। वहीं, तीसरे स्थान पर अरुण जेटली थे जिनकी संपत्ति का मूल्य 111.42 करोड़ रुपये है जबकि चौथे स्थान पर अंबिका सोनी हैं जिनके पास 105.82 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है।

इनमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मीशा भारती, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन, जदयू के महेंद्र प्रसाद, कांग्रेस के राजमणि पटेल और भाजपा के राकेश सिन्हा सहित कई नाम शामिल हैं।

चिंता की बात है कि पार्टी के दायरे से ऊपर उठकर नेताओं ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया है।

एडीआर के प्रमुख मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल वर्मा ने आईएएनएस से सच छिपाने की इस संस्कृति पर चिंता जाहिर की है।

वर्मा ने कहा, “पारदर्शिता का जहां तक सवाल है तो बेशक यह चिंता का विषय है। हम मौजूदा स्पीकर को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह महत्वपूर्ण है और उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए।”

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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