‘सामना’ में शिवसेना ने मोदी सरकार को घेरा, कहा- प्याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, अब वह भी संभव नहीं

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'सामना' में शिवसेना ने मोदी सरकार को घेरा, कहा- प्‍याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, अब वह भी संभव नहीं

शिवसेना ने प्याज के बढ़ते दाम और महंगाई को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। मंगलवार को पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि बेहोश व्‍यक्ति को प्‍याज सुंघाकर होश में लाया जाता है, लेकिन अब बाजार से प्‍याज गायब हो गया है। ऐसे में अब यह भी मुमकिन नहीं है। इसके अलावा जीडीपी और बुलेट ट्रेन जैसे मुद्दों पर भी पार्टी ने मोदी सरकार को घेरा है।

संपादकीय में लिखा, “बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं पर बेवजह जोर देकर आर्थिक भार बढ़ाया जा रहा है। निर्मला सीतारमण वित्‍त मंत्री हैं, लेकिन आर्थिक नीति में उनका क्‍या योगदान है? मैं प्‍याज नहीं खाती, तुम भी मत खाओ। यह उनका ही ज्ञान है।” बता दें कि निर्मला सीतारमण ने बाद में कहा था कि प्‍याज पर दिए गए उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया।


‘अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है’

शिवसेना ने लिखा, “हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है। बीमार पड़ गई है। यह कहना है रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का। राजन अर्थव्यवस्था के बेहतरीन डॉक्टर हैं। उनके द्वारा किया गया नाड़ी परीक्षण योग्य ही है। मतलब, देश की अर्थव्यवस्था को लकवा मार गया है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।”

‘अब मोदी की नीति बदल गई’

संपादकीय में आगे लिखा है, “अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में जोरदार पतझड़ जारी है, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। प्याज 200 रुपए किलो हो गई है। मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे, तब प्याज की बढ़ती कीमतों पर उन्होंने चिंता जताई थी। गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने प्याज को जीवनोपयोगी वस्तु बताया था। यदि ये इतना महंगा हो जाएगा तो प्याज को लॉकर्स में रखने का वक्त आ जाएगा। आज मोदी की नीति बदल गई है।”

“मोदी अब प्रधानमंत्री हैं और देश की अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई है। देश की अर्थव्यवस्था का जो सर्वनाश हो रहा है, उसके लिए पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। वर्तमान सरकार विशेषज्ञों की सुनने की मनोस्थिति में नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था मतलब उनकी नजर में शेयर बाजार का ‘सट्टा’ हो गया है।”


नोटबंदी और जीएसटी पर भी उठाए सवाल

शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में अधिकारों का केंद्रीकरण और अधिकार शून्य मंत्री की स्थिति को रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान सरकार में निर्णय, कल्पना, योजना इन तमाम स्तरों का केंद्रीकरण हो गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय में कुछ ही लोग ही फैसले लेते हैं। आर्थिक सुधार हाशिए पर डाल दिए गए हैं। यह सत्य है। नोटबंदी जैसे निर्णय लेते समय देश के उस समय के वित्त मंत्री को अंधेरे में रखा गया। रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर ने विरोध किया तो उन्हें हटा दिया। देश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। इसके पीछे मूल कारण नाकाम नोटबंदी का निर्णय है।’’

सामना में यह भी लिखा, “गिने-चुने उद्योगपतियों के लिए अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल किया जा रहा है। पंडित नेहरू और उनके सहयोगियों ने 50 वर्षों में जो कमाया, उसे बेचकर खाने में ही फिलहाल खुद को श्रेष्ठ माना जा रहा है। उद्योग जगत में मंदी है। लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं। बैंकों की स्थिति अच्छी नहीं है। जीएसटी जैसी उतावलेपन में लादी गई योजना नाकाम सिद्ध हुई है। इसलिए अर्थव्यवस्था दलदल में फंस गई। परिस्थिति इतनी बिगड़ गई है कि भुखमरी के मामले में हिंदुस्तान की अवस्था आज नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी खराब हो गई है।”


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