श्रावण मास के शुरुआत के साथ ही व्रत और त्योहारों का भी सिलसिला शुरू हो जाता है। यही कारण है कि सावन और भादो महीने को बेहद खास माना जाता है। भादो महीने में ही सिंह संक्राति पड़ती है जिसे हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तव में भादो मास में कई राशियों एवं ग्रहों में परिवर्तन होता है जिसके कारण वे अपनी चाल बदलते हैं।
सिंह संक्रांति के दिन लोग विशेष तरीके से पूजा पाठ करते हैं। इसके साथ ही कुछ लोग अलग तरीके का भोजन करते हैं जबकि कुछ लोग टोटके करते हैं। माना जाता है कि सूर्य संक्रांति के दिन घी खाना बहुत फायदेमंद होता है। आइये जानते हैं इसके पीछे क्या है मान्यता।
कब है सिंह संक्रांति
जब राहु कर्क में और केतु मकर राशि में प्रवेश कर जाता है तो उस दिन को सूर्य संक्रांति मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देवता भी राशि परिवर्तन कर लेते हैं और कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश कर जाते हैं। भादो माह में सूर्य जब अपनी राशि परिवर्तित करता है तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष सूर्य संक्रांति 18 अगस्त पड़ रही है।
सिंह संक्रांति का महत्व
सिंह संक्रांति पर सूर्य अपनी राशि में आ जाता है। जिससे सूर्य बली हो जाता है। बली होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्माकारक ग्रह है। सूर्य का प्रभाव बढ़ने से रोग खत्म होने लगते हैं और आत्मविश्वास बढ़ने लगता है।
सिंह राशि में स्थित सूर्य की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। लगभग 1 महीने के इस समय में रोज सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य संक्रांति पर पूजा के साथ ही गाय का घी भी खाना चाहिए। चरक संहिता के अनुसार गाय के घी को शुद्ध एवं पवित्र माना गया है। कहा जाता है कि सिंह संक्रांति पर घी का सेवन करने से यादाश्त, बुद्धि, बलवीर्य, ऊर्जा और ओज बढ़ता है। इसके अलावा गाय का घी खाने से वात, कफ और पित्त दोष दूर रहते हैं और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इस समय गाय का घी खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।