संघ समर्थित बीएमएस देगा धरना, कहा- पूर्ववर्ती सरकारों की बनाई संपत्तियों को बेचने का हक नहीं

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नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ फिर से धरना-प्रदर्शन की तैयारी की है। आगामी दस जून को ‘सेव पब्लिक सेक्टर-सेव इंडिया’ मुहिम के तहत संगठन धरना-प्रदर्शन करेगा। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महासचिव विरजेश उपाध्याय ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि उसे पूर्वजों की बनाई हुई राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का नैतिक हक नहीं है।

भारतीय मजदूर संघ की पब्लिक सेक्टर को लेकर बनी कोआर्डिनेशन कमेटी की गुरुवार को हुई मीटिंग में विरोध प्रदर्शन की रणनीति बनी। इसमें कोल, डिफेंस, रेलवे, पोस्टल, बैंकिंग, इंश्योरेंस, स्टील, मैरीन और टेलीकॉम, पॉवर, डिफेंस प्रोडक्शन, हैवी इंजीनियरिंग, ऑयल एंड गैस, एफसीआई, एविएशन, केमिकल आदि पब्लिक सेक्टर से जुड़े प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस मीटिंग में केंद्र सरकार की ओर से आक्रामक तरीके से विभिन्न सेक्टर में विभिन्न नामों से चल रही निजीकरण की कोशिशों को लेकर नाराजगी जताई गई।


इस दौरान तय हुआ कि भारतीय मजदूर संघ देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा। ‘सेव पब्लिक सेक्टर, सेव इंडिया’ बैनर तले यह प्रदर्शन होगा। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा, “केंद्र सरकार के पिछले कुछ फैसलों से पता चल रहा है कि वह कर्मचारियों पर अन्यायपूर्ण फैसले लागू करना चाहती है। देश की अर्थव्यवस्था मे पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान है, इस नाते इसका निजीकरण नहीं होना चाहिए। किसी को पूर्वजों( पूर्व की सरकारों) की बनाई राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का नैतिक अधिकार नहीं है।”

भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि पहले सरकार ने घाटे वाले पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने की बात कही, मगर खरीदने के लिए जब कोई सामने नहीं आया तो अब सरकार महारत्न और नवरत्न कंपनियों को भी बेचने की कोशिश कर रही है, जो कि मुनाफे में चल रहीं हैं। भारतीय मजदूर संघ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार के सलाहकारों के पास राजस्व जुटाने के लिए विचारों की कमी है। उनके पास समाधान का केवल एक ही तरीका निजीकरण है। ये लोग राष्ट्र हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। भारतीय मजदूर संघ ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को सामाजिक संवाद में रुचि दिखाते हुए हर सेक्टर के सभी हितधारकों से बातचीत करनी चाहिए। राजस्व के लिए नए रास्तों को ढूंढना चाहिए।

–आईएएनएस


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