स्थायी रोजगार में कौशल की भूमिका महत्वपूर्ण

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 आसान शब्दों में कहा जाए तो स्थायी रोजगार वह है, जिसमें कोई कर्मचारी अपनी संबंधित नौकरी में उत्पादक बने रहने के लिए इच्छुक और तैयार हैं।

  इसके लिए कर्मचारियों के कौशल में निरंतर उन्नयन की आवश्यकता होती है और उनकी पहुंच को मशीनिंग और सिस्टम में नवीनतम तकनीक तक आगे से आगे बढ़ाया जाता रहता है।


चुनौती यही है कि या तो आप अपने आप को पेशेवराना रूप से तैयार करते चलें या फिर सहस्राब्दी पीढ़ी से पिछड़े के लिए तैयार हो जाएं, जो न केवल अपने आप को जुनून की तरह निभाती है बल्कि काम के साथ-साथ अपने कौशल को भी निरंतर धार दे रही है। भारत में इस करो-या-मरो वाले परि²श्य के बीच अगली पीढ़ी न केवल अपने काम को अंजाम दे रही हैं बल्कि अपने ज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में हो रहे अपडेट के साथ भी खुद को मांजती जा रही है।

जो पहले से ही नौकरियों में हैं, उनमें से भी कई कर्मचारी अब ऑनलाइन या कौशल विश्वविद्यालयों की ओर से भौतिक रूप से उपलब्ध करवाए गए कौशल पाठ्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। बेशक, यह आपकी नौकरी की संभावनाओं को बढ़ाता है बल्कि अगर आप कार्यरत हैं तो दूसरों की तुलना में आपको प्रमोशन भी अधिक मिलते हैं और आप अपने मौजूदा पदनाम से आगे जा सकते हैं।

हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, वह घोर प्रतिस्पर्धा का दौर है। फिर वह इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, आईटी सेक्टर हो या मीडिया सहित कोई भी अन्य क्षेत्र। कंपनी अब अपने कर्मचारियों के लिए सभी क्षेत्रों में नए विकास के साथ रिफ्रेशनमेंट कोर्स प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कुछ का यह भी मानना है कि नए या संबंधित कौशल सीखना संगठनात्मक विकास का कारण बनता है। यह नियोक्ता और कर्मचारियों दोनों के लिए फायदे वाली स्थिति है।


कई कौशल विकास विश्वविद्यालय बिलकुल इसी तर्ज पर काम कर रहे हैं। कौशल प्रशिक्षण के लिए समुचित माहौल तैयार करने के लिए सरकार ने कौशल विश्वविद्यालयों के साथ व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद की स्थापना का प्रस्ताव दिया है जो कौशल में मास्टर और बैचलर डिग्री प्रदान करेंगे। मसौदे के मानदंडों के अनुसार, विश्वविद्यालयों के पास उद्योग के सहयोग से विकसित उत्कृष्ट कौशल प्रशिक्षण लैब्स, स्टूडियो और एक्सीलेंस सेंटर शामिल होंगे। कोर्स के दौरान कॅरियर परामर्श के अलावा किसी भी कौशल आधारित पाठ्यक्रम में दाखिला लेने से पहले छात्रों की योग्यता का आकलन करने के लिए अलग से काउंसलिंग-सेल भी होगा।

अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात में रोजगार घटते जा रहे हैं। ऐसे में रोजगार पाने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप अपनी योग्यता और शिक्षा के अनुसार किसी विशेष कौशल को अर्जित करें या उसे विकसित करें। यही वह तरीका है, जिससे भारत अन्य देशों पर प्रभुत्व हासिल कर सकता है। इस दिशा में युवा पीढ़ी के सामने आने वाली कुछ समस्याएं हैं –

* मुख्यधारा के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विशेषज्ञ पाठ्यक्रमों की कमी : ऐसे किसी विशेष क्षेत्र में काम करने के लिए कुशल श्रम की कमी जहां कंप्यूटर भी विफल रहता है। जैसे रोल्स रॉयस फैक्ट्री की पेंट शॉप जहां अंतिम प्रक्रिया मनुष्यों की ओर से ही सम्पादित की जाती है, रोबोटों से नहीं। कौशल विकास में सर्वोत्तम पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले कुछ प्रमुख कौशल विश्वविद्यालय टीमलीज स्किल्स यूनिवर्सिटी, भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी जयपुर, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी, सीकॉम स्किल यूनिवर्सिटी आदि हैं।

भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी (जयपुर) जैसे कुछ विश्वविद्यालय बी.वोक. और एम. वोक. के बीच प्रवेश और निकास के कई पडाव प्रदान करते हैं। यहां छह महीने में प्रत्येक सेमेस्टर के पूरा होने के बाद छात्र या तो पाठ्यक्रम के साथ आगे अपना प्रशिक्षण जारी रख सकते हैं या इसे बीच में छोड़ कर जॉब करने जा सकते हैं और बाद में जब भी उन्हें उन्हें समय मिले, बीच-बीच में अपनी बैचलर और मास्टर की डिग्री पूरी कर सकते हैं।

* उद्यमिता कौशल योग्यता: 10 प्लस 2/ पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर : यह कोर्स सकारात्मक ²ष्टिकोण, व्यापार संस्कृति और अपने स्वयं के सूक्ष्म उद्यम शुरू करने के लिए छात्रों को मजबूत करेगा। कौशल विकास विश्वविद्यालयों की भूमिका सभी आवश्यक कौशल से छात्रों को लैस करने तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद उचित मार्गदर्शन और त्वरित समर्थन प्रदान करते रहने की होती है।

* मशीन लनिर्ंग और एआई कौशल योग्यता : 10 प्लस 2/पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर : मशीन लनिर्ंग और एआई में कौशल रखने वाले छात्रों को आईबीएम, सिस्को, विप्रो, एचसीएल इत्यादि कंप्यूटिंग और सॉफ्टवेयर उद्योग समेत बड़े या छोटे उद्योगों में काम मिल रहा है।

* ऑटोमोटिव कौशल योग्यता: 10 प्लस 2/पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर : भारत में कई शीर्ष ऑटोमोबाइल कंपनियां परिचालन में हैं, जिनके पास कारों के विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रकार के मॉडल हैं। भारत में शीर्ष 10 ऑटोमोबाइल कंपनियों की तलाश करते समय, यह नाम लिए जाते हैं: मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा मोटर्स लिमिटेड, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड, हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड आदि।

* इलैक्ट्रिकल कोर्स योग्यता : 10 प्लस 2/पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर : विद्युत कौशल वाले व्यक्ति को किसी भी कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, इंस्ट्रूमेंटेशन और कंट्रोल, रोबोटिक्स, मैकेनिकल इंडस्ट्री इत्यादि में नियोजित किया जा सकता है। बजाज इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, सीमेंस लिमिटेड, रिलायंस पावर लिमिटेड, क्रॉम्प्टन ग्रीव्स लिमिटेड, तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), कोयला इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल), सेंटर फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी और विप्रो लाइट विद्युत विशेषज्ञों की भर्ती करने वाले बड़े ब्रांड्स में से हैं।

* एचवीएसी और रेफ्रिजरेशन, योग्यता : 10 प्लस 2/पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर: वाणिज्यिक प्रशीतन के क्षेत्र में प्रमुख कंपनियां के साथ यह एक फलता-फूलता उद्योग है। यह एयर कंडीशनर, कूलर, फ्रीजिंग रूम और वेजिटेबल्स कूलर, वेयर हाउस एयर कंडीशनिंग, कोल्ड स्टोरेज आदि इसके क्षेत्र हैं। वोल्टास, डाइकिन, ब्लू स्टार, नेशनल रेफ्रिजरेशन कंपनी सहित कई कंपनियों में नियमित रूप से भर्ती चलती रहती है।

* विनिर्माण कौशल योग्यता: 10 प्लस 2/पीसीएम/आईटीआई/पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष।

भविष्य में अवसर: निर्माण में कौशल रखने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग उद्योग उपकरण, ऑटोमोबाइल पार्ट्स निमार्ताओं, मशीन टूल्स निमार्ताओं, धातु टूल इंडस्ट्रीज सहित बड़े या छोटे उद्योगों में विनिर्माण / फिटिंग अनुभाग के सुपरवाइजर, रखरखाव विशेषज्ञ, गुणवत्ता विशेषज्ञ, उत्पादन पर्यवेक्षक / योजनाकार / एजेंट आदि जिम्मेदार पदों पर रखा जा रहा हैं। उत्कृष्ट कौशल अभ्यास और औद्योगिक ज्ञान के कारण छात्र 3 साल के प्रशिक्षण के बाद उन्नत विनिर्माण मशीनों का संचालन भी कर सकते हैं। लार्सन एंड टुब्रो, सीमेंस, क्रॉम्प्टन ग्रीव्स, एचएमटी लिमिटेड, किर्लोस्कर, जेसीबी जैसी कुछ कंपनियों में छात्रों को पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद नौकरियों में रखा गया है।

संक्षेप में, आवश्यक योग्यता और अनुभव के साथ युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिए जाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मानसिकता को बदलना और इस पीढ़ी के लिए नौकरी के अवसरों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है ताकि भारत न केवल स्थायी रोजगार प्रदान करने में अग्रणी हो बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को स्वस्थ रखने में भी अपना योगदान दे सकें।

(राजेंद्र कुमार जोशी भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (जयपुर) के संस्थापक हैं।)

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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