झारखंड: स्थानीय नेताओं के संघर्ष से मिली कांग्रेस को संजीवनी, रंग लाई सुबोधकांत सहाय की रणनीति और मेहनत

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झारखंड: स्थानीय नेताओं के संघर्ष से मिली कांग्रेस को संजीवनी, रंग लाई सुबोधकांत सहाय की रणनीति और मेहनत

झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-राजद की बड़ी जीत से राज्य में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सूबे में कांग्रेस के पुनरुत्थान के पीछे पार्टी के अनुभवी व दिग्गज नेता सुबोधकांत सहाय की अहम भूमिका रही है। वहीं चुनाव में करारी हार झेलने के बाद बीजेपी ने माना है कि स्थानीय स्तर पर एक प्रभावी नेतृत्व की कमी उनकी हार का प्रमुख कारण रही है।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन की शानदार जीत की वजह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की क्षेत्र की सामाजिक समीकरण की तीव्र समझ और इसके आधार पर बनाई गई रणनीति है। सुबोधकांत सहाय समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने रणनीति के तहत राज्य के 400 सिविल सोसायटी संस्थाओं के साथ मजबूत रिश्ते बनाए और उन सभी के साथ नियमित अंतराल पर कम से कम तीन बैठकें आयोजित की गईं। कुछ संगठनों से कांग्रेस नेताओं ने छह-सात बार मीटिंग की।


कांग्रेस वर्कर्स का कहना है कि इन बैठकों में सहाय ने बार-बार आदिवासी समूहों के प्रति सरकार की उदासीनता और बिजली के मोर्चे पर रघुबर दास सरकार की विफलता को उजागर किया। अडानी द्वारा आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहण के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिससे आदिवासी संगठनों में बीजेपी के लिए अविश्वास का माहौल बना।

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रांची से तालुक रखने वाले सुबोधकांत सहाय ने अपने राजनीतिक करियर का अधिकांश समय राज्य के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को समझने और उठाने में बिताया है। एक ओर जहाँ भाजपा के हाई प्रोफाइल नेता चुनाव प्रचार के लिए मेगा रैलियां आयोजित कर रहे थे, वहीं सहाय की पारखी नज़रें लोगों का मन-मिजाज पढ़कर उनके महत्वपूर्ण और मूलभूत मुद्दों की पहचान करने में जुटी हुई थीं, ताकि लोगों से सीधे इन मुद्दों पर संवाद कर उन्हें प्रभावित किया जा सके। मसलन, पत्थलगड़ी और सीएनटी-एसपीटी लोगों के जेहन में उठे महत्वपूर्ण मुद्दे थे। सुबोधकांत सहाय समेत कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बहुत सावधानी से इन संवेदनशील मुद्दों पर जनता की भावना को कांग्रेस के पक्ष में करने में कामयाबी हासिल की।

मनमोहन और सोनिया के करीबी रहे हैं सुबोधकांत सहाय

बता दें, सुबोधकांत सहाय झारखंड में कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। यूपीए सरकार के समय सुबोधकांत सहाय के पास केंद्र के अहम मंत्रालय रहे हैं। सुबोधकांत सहाय के पास 2012 तक यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी थी। सुबोधकांत सहाय को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का करीबी नेता माना जाता है। इससे पहले सुबोधकांत सहाय वीपी सिंह सरकार में गृह राज्य मंत्री भी रहे।


सुबोधकांत सहाय का जन्म झारखंड के लातेहार में हुआ था। उन्होंने पटना के एएन कॉलेज और रांची यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की है। सुबोधकांत सहाय छात्र जीवन से ही राजनीति के मैदान में कूद पड़े थे। वह नॉन अलाइंड स्टूडेंट एंड यूथ ऑर्गनाइजेशन (NASYO) से जुड़े रहे। सुबोधकांत सहाय बिहार और झारखंड के अन्य नेताओं की तरह 70 के दशक में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े रहे। सुबोधकांत सहाय रांची की लोकसभा सीट से 14वीं और 15वीं लोकसभा में संसद में पहुंचे थे। हालाँकि, इस साल लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई थी।


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