सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पशु-पक्षियों को इंसानों के बराबर कानूनी अधिकार दिए जाने और क्रूरता से बचाने की मांग पर वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पशुओं को क्रूरता से बचाने से जुड़ी मांगों पर विचार संभव है, लेकिन इसकी संभावना कम है कि उन्हें व्यक्ति जैसा दर्जा दिया जाएगा।
इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि आप चाहते हैं कि जानवरों को न्यायिक अधिकार दिया जाए। जानवर मनुष्यों के समान नहीं हैं, क्या आपका कुत्ता आपके समान है?… जानवरों को विभिन्न कानूनों के तहत संरक्षण मिला हुआ है पर क्या आप चाहते हैं कि जानवर मुकदमा करने में और मुकदमे का सामना करने में सक्षम हों?
याचिकाकर्ता ने कहा कि कानून ऐसा ही है, जानवरों के साथ इंसानों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि जानवरों को चोट पहुंचाई जा रही है। जबकि हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जानवर, इंसानों के समान होते हैं। इस पर CJI ने फिर सवाल किया, क्या हम पेड़ों को भी कानूनी संस्था बना सकते हैं ? उन्होंने कहा कि आप वास्तव में भ्रमित हैं।
इस केस की सुनवाई के अंत में, CJI ने कहा कि हम आपकी याचिका पर नोटिस जारी कर रहे हैं, लेकिन यह संभावना नहीं है कि हम पशु साम्राज्य यानी एनिमल किंगडम को कानूनीव्यक्ति घोषित करने की आपकी मांग को मान लेंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर दिया।