सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत, वाराणसी से PM मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ सकेंगे तेज बहादुर

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सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत, वाराणसी से PM मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ सकेंगे तेज बहादुर

बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव के वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की उम्मीदें खत्म हो गयी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेज बहादुर का नामांकन रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनकी याचिका में कोई मैरिट नहीं है। न्यायालय के इस फैसले से वाराणसी में मोदी को पूर्व सैनिक के जरिये चुनौती देने की सपा-बसपा गठबंधन की रणनीति को करारा झटका लगा है।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले दिनों वाराणसी लोकसभा सीट से तेज बहादुर यादव के नामांकन को रद्द कर दिया था, जिसके खिलाफ तेज बहादुर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तेज बहादुर यादव की शिकायत पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि तेज बहादुर की शिकायत के हर बिंदु पर गौर किया जाए और कल तक (9 मई) कोर्ट में जवाब दाखिल किया जाए। तेज बहादुर यादव की याचिका पर आज गुरुवार को फिर से सुनवाई हुई। निर्वाचन आयोग की ओर से राकेश द्विवेदी ने अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने जनप्रतिनिधि कानून सहित पुराने फैसलों का हवाला दिया। साथ ही चुनाव आयोग ने वाराणसी के निर्वाचन अधिकारी के फैसले को सही करार दिया।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने तेज बहादुर की ओर से पक्ष रखते हुए कहा, ‘मैंने अपनी बर्खास्तगी का आदेश नामांकन के साथ संलग्न किया था। लेकिन हमें जवाब रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया। मैं चुनाव रोकने को नहीं रोक रहा हूं, बस चाहता हूं कि मेरा नाम जोड़ा जाए।’

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि याचिका में कोई मैरिट नहीं है। वाराणसी में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण के तहत 19 मई को मतदान होना है।

बीएसएफ में कांस्टेबल रहे तेज बहादुर यादव खाने की क्वालिटी पर सवाल उठाने के बाद चर्चा में आए थे। बाद में बीएसएफ से उन्हें बर्खास्त भी कर दिया गया था। इसके बाद तेज बहादुर तब सुर्खियों में आये जब उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय किया। पहले उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया। हालांकि, हलफनामे में जानकारी छुपाने के आधार पर चुनाव अधिकारी ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था।


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