UGC Guidelines for Final Year Exam: यूजीसी फाइनल ईयर के एग्जाम कराने के अपने फैसले पर अभी भी अड़ा हुआ है। यूजीसी का कहना है कि किसी भी हाल में फाइनल ईयर के एग्जाम कराए बिना डिग्री नहीं दी जा सकती है। अब चूंकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया है।
यूजीसी (UGC) ने पहले ही कह दिया था कि जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि एग्जाम नहीं कराए जाएंगे। यूजीसी ने 6 जुलाई को नई गाइडलाइन्स जारी करके फाइनल ईयर के एग्जाम 30 सितंबर तक कराने की बात कही है।
यूजीसी ने अदालत को यह भी बताया कि परीक्षाओं के बिना छात्रों को डिग्री प्रदान नहीं की जा सकती है और इसलिए परीक्षा तो स्थगित हो सकती है, मगर उन्हें रद्द नहीं किया जा सकता है। अब न्यायालय को तय करना है कि यूजीसी के दिशानिर्देशों के विपरीत परीक्षा को स्थगित करने के लिए राज्यों के पास आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्ति है या नहीं।
उच्चतम न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय जल्द आने की उम्मीद है। उच्चतम न्यायालय में 18 अगस्त 2020 को मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई थी और न्यायालय द्वारा फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था।
इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों न्यायमूर्ती अशोक भूषण, न्यायमूर्ती आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ती एम. आर. शाह की खण्डपीठ द्वारा की जा चुकी है। मंगलवार को हुई पिछली सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने सभी पक्षों को अपनी अंतिम दलील लिखित रूप से जमा कराने का तीन दिनों का समय दिया था।
उच्चतम न्यायालय की खण्डपीठ द्वारा सभी पक्षों को दी गई।अवधि समाप्त होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाओं के मामले में फैसला आज, 24 अगस्त को सुनाया जा सकता है। यूपी, बिहार, असम, आदि समेत विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों ने यूजीसी निर्देशों को चुनौती के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की ह।
जिसमें ये मांग की गयी है कि कोविड-19 महामारी के दौर में परीक्षाओं का आयोजन किया जाए और छात्रों को उनके आंतरिक मूल्यांकन और पिछले वर्षों या सेमेस्टर की परीक्षाओं के औसत के आधार पर अंक देते हुए उत्तीर्ण घोषित किया जाए। इस याचिका में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं।