सुप्रीम कोर्ट का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार

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नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसकी अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है और जिसके तहत मध्य दिल्ली में लुटियंस जोन में एक नई संसद और अन्य केंद्रीय सरकारी कार्यालयों का निर्माण होना है।

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “कोविड-19 के समय में कोई भी कुछ नहीं करने जा रहा है। कोई जल्दी नहीं है।”


केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “एक नई संसद का निर्माण किया जा रहा है। किसी को समस्या क्यों होनी चाहिए?” परियोजना की योजना 2022 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अनुसार तैयार की गई है।

शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से, वकील राजीव सूरी ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना को इस आधार पर चुनौती दी कि भूमि के उपयोग में एक अवैध तरीके से बदलाव किया गया है। याचिका में दलील दी गई कि 20 मार्च को सरकार की अधिसूचना, जो 19 दिसंबर, 2019 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी किए गए एक सार्वजनिक नोटिस को रद्द करती है, नियम और न्यायिक प्रोटोकॉल के नियम के अधीन है क्योंकि 2019 के नोटिस को दी चुनौती विचाराधीन है, खुद सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रही है।

सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की इमारतें, जहां महत्वपूर्ण मंत्रालयों, और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं, केंद्र एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर का निर्माण करके पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें कई नए कार्यालय भवनों के अलावा प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के कार्यालय शामिल होंगे।


शीर्ष अदालत ने देखा कि परियोजना का विरोध करने वाली एक समान याचिका अदालत में लंबित है। सूरी ने पहले ही परियोजना के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जो शीर्ष अदालत में लंबित है।

अदालत ने कहा कि एक समान याचिका लंबित है। दोहराव की कोई जरूरत नहीं है।

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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