सुरक्षित वापसी के लिए म्यांमार पर दबाव बनाए भारत : रोहिंग्या शरणार्थी

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 हैदराबाद, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| हैदराबाद में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों ने भारत सरकार से उनकी सुरक्षित म्यांमार वापसी के लिए म्यांमार सरकार पर अनुकूल हालात तैयार करने का दबाव बनाने की अपील की है।

 भारत द्वारा उन्हें निर्वासित किए जाने की खबरों से चिंतित शरणार्थियों का कहना है कि एक बार सुरक्षा को लेकर आश्वस्त होने पर वे खुद ही वापस लौट जाएंगे। वे यह भी चाहते हैं कि म्यांमार उन्हें नागरिकता प्रदान करे और उनकी जमीन लौटाए।


इस महीने की शुरुआत में सात रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजे जाने से पूरे भारत में रोहिंग्या शरणार्थी चिंतित हैं।

अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने के लिए 2012 से असम जेल में बंद सात रोहिंग्याओं को म्यांमार सरकार को सौंप दिया गया था। सरकार को इन्हें निर्वासित करने से रोकने के लिए दाखिल याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद इन्हें म्यांमार को सौंप दिया गया।

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने इस पर भारत को याद दिलाया था कि अंतर्राष्ट्रीय कानून राष्ट्रों को शरणार्थियों को उनके देशों में वापस भेजने से रोकते हैं जहां उनके लिए खतरा अभी बना हुआ हो।


यूएनएचसीआर में पंजीकृत करीब 18 हजार रोहिंग्या शरणार्थी भारत में रह रहे हैं। इनमें से चार हजार हैदराबाद में रह रहे हैं।

इतने वर्षों तक उन्हें रहने की इजाजत देने के लिए भारत सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए शरणार्थियों ने सरकार से उन्हें वापस नहीं भेजने की अपील की है क्योंकि म्यांमार में अभी भी उन्हें अपनी जान का खतरा है।

शरणार्थी सुल्तान महमूद ने आईएएनएस से कहा, “हमें वापस मत भेजिए। इसके बजाए हमें यहां बम से मार दीजिए। कम से कम हमें यहां कब्र तो नसीब होगी। हमें वहां दफनाया तक नहीं जाएगा।”

उन्होंने म्यांमार के रखाइन राज्य में अत्याचारों से बचकर यहां पहुंचने तक के सफर को फिर से याद किया।

सुल्तान ने कहा, “हमने उन्हें कई लोगों को जान से मारते और घरों में आग लगाते हुए देखा। यह यादें अभी भी हमें डराती हैं। हम वहां वापस जाने के बारे में सोचकर भी कांपने लगते हैं।”

सुल्तान अपनी पत्नी और अपने दो बच्चों के साथ भारत पहुंचे थे जिनमें से एक 19 वर्षीय विकलांग है और बिस्तर से उठ तक नहीं सकता।

एक अन्य शरणार्थी हारून मोहम्मद इदरीस ने कहा, “वहां शांति बहाल नहीं हुई है। हम कैसे वहां वापस जा सकते हैं?” हारून अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ 2012 में भारत आया था।

म्यांमार के सशस्त्र बलों द्वारा कार्रवाई में अपने परिजनों, सहोदरों समेत 20 लोगों को खोने वाले हारून ने कहा कि अगर उन्हें वापस भेजा जाता है तो उनका हाल भी उन्हीं जैसा होगा।

बालापुर की छोटी झोपड़ियों में चारों ओर गंदगी के बीच रह रहे एक 80 वर्षीय बुजुर्ग आमिर हुसैन अपने छह सदस्यीय परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

उनका 32 साल का बड़ा बेटा 13 वर्षो से म्यांमार के अधिकारियों की हिरासत में है। उनके परिवार में कमाने वाला कोई अन्य सदस्य नहीं है।

स्थानीय पुलिस शरणार्थियों के शिविरों में आती है और उनके कार्ड जांचती है।

आमिर ने कहा, “हम सभी प्रकार का सहयोग करते हैं क्योंकि न तो हम आतंकी हैं और न ही अपराधी।”

उन्होंने माना कि उनके कई देशवासियों ने भारतीय नागरिकता के लिए आधार और अन्य कार्ड पाने का प्रयास किया, जो कि गलत है।

बालापुर शिविर के प्रभारी बिलाल हुसैन ने कहा, “हम ऐसी अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं होने के लिए प्रत्येक दिन अपील करते हैं।”

बालापुर, हैदराबाद के पुराने शहर में स्थित 25 शरणार्थी शिविरों में से एक है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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