स्वास्थ्य बीमा पारिस्थितिकी तंत्र बदलाव के दौर में

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नई दिल्ली, 17 जनवरी (आईएएनएस)| नए साल में प्रवेश करते समय हमारे लिए यह नजर रखने का समय है कि आने वाले महीनों में भारत में स्वास्थ्य बीमा पारिस्थितिकी तंत्र कैसे आगे बढ़ सकता है। यह समीक्षा करने का समय है कि स्वास्थ्य बीमा उद्योग में परिवर्तन के सबसे शक्तिशाली कारक क्या होंगे, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे आज के उपभोक्ताओं को कैसे प्रभावित करेंगे।

आगे बढ़ने से पहले यह महत्वपूर्ण है कि भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर एक नजर डाली जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत, जहां दुनिया की कुल आबादी का 17.5 फीसदी है, वहां नवजात बच्चों की मृत्यु दर 27 फीसदी है, जिसमें विभिन्न रोगों से 20 फीसदी मौतें होती है। यह दुनिया में बच्चों की कुल मौतों का 21 फीसदी है।


हाल की एक रिपोर्ट में भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को दुनिया के 190 देशों में से 112 वें नंबर पर रखा गया है। इसका प्रमुख कारण भारत के लोगों की सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं होना है और इसका एकमात्र समाधान पर्याप्त संख्या में लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर मुहैया कराना है।

देश के स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में लगातार उदारीकरण के बावजूद, देश की कुल आबादी के पांचवें हिस्से से भी कम जनसंख्या स्वास्थ्य बीमा के दायरे में है। इसके कई कारण है क्योंकि क्षेत्र के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें खंडित पारिस्थितिकी तंत्र, विनियामकीय अनिश्चितता, और असंबद्ध आंकड़े प्रमुख हैं।

सौभाग्य से, पिछले कुछ सालों में लगातार प्रगति और डिजिटल टूल्स के बेहतर इस्तेमाल से इनमें से ज्यादातर चुनौतियों पर कुशलता से ध्यान दिया गया है। रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (आरपीए), आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), ब्लॉकचेन, और एडवांस एनालिटिक्स स्वास्थ्य बीमा को बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं, बीमाकर्ता अधिक सुव्यवस्थित और एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।


उम्मीद है कि आनेवाले कुछ महीनों में स्वास्थ्य बीमा उद्योग को आगे बढ़ाने में एनालिटिक्स की बड़ी भूमिका होगी। इससे बीमाकर्ता देश भर में प्रीडिक्टिव डायग्नोस्टिक और वैयक्तिकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम होंगे। बीमाकर्ता किसी व्यक्ति को बीमारी की संभावना होने का पता एनालिटिक्स से लगा सकते हैं और उन्हें सावधानी बरतने के जरूरी कदम सुझा सकते हैं। इंटेलीजेंस एनालिटिक्स के माध्यम से रोगी के चिकित्सा इतिहास का पता लगाकर बचाव के कदम सुझाए जा सकते हैं। साथ ही यह तकनीक कम लागत में सबसे प्रभावी इलाज और दवाइयां भी सुझा सकती है।

आज के तकनीक-प्रेमी ग्राहक बीमाकर्ता से वैसा ही डिजिटल टूल और अनुभव की उम्मीद करते हैं, जैसा उन्हें ई-कॉमर्स या अन्य खुदरा उद्योग द्वारा प्राप्त होता है। जहां तक स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र का सवाल है, इन दिनों ग्राहक डिजिटल-उन्मुख एप्लिकेशनों या वेबसाइट्स की मांग करते हैं, जो उन्हें संपूर्ण ग्राहक समर्थन मुहैया कराएं। कई बीमाकर्ताओं ने पहले से ही डिजिटल टूल्स को अपनाना शुरू कर दिया है, ताकि ग्राहकों और उनके परिवारवालों के लिए स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र की पड़तान करना आसान हो। इनमें से कुछ शक्तिशाली टूल्स हैं – डिजिटल ऑन बोर्डिग, लागत और तरजीहों के आधार पर हेल्थ प्लान्स चुनने में आसानी, क्लेम की बेहतर समझ के लिए व्यक्तिगत सामग्री।

नए साल में स्वास्थ्य बीमा उद्योग ग्राहकों को जोड़ने के लिए चैटबोट्स और वॉयस असिस्टेंट्स की शुरुआत करेंगे। ये दोनों ही तकनीक बीमाकर्ताओं के साथ ही ग्राहकों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का लाभ उठाकर ग्राहकों के साथ उत्पादक वार्तालाप करती है।

(लेखक पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के उत्पाद व नवाचार प्रमुख हैं। ये उनके निजी विचार हैं)

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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