दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू स्मॉग के बीच मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने (Stubble Burning) की समस्या से निपटने के उपाय बताए हैं। उन्होंने पराली के व्यवसायीकरण का सुझाव दिया है। स्वामीनाथन ने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी की सरकारें राइस बायोपार्क (Rice BioParks) बनवाकर पुआल को आय का जरिया और रोजगार के रूप में परिणत कर सकती है। उन्होंने कहा कि धान की पुआल को पशु चारा, कार्डबोर्ड, कागज और अन्य उत्पादों के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
दिल्ली में Odd-Even योजना आज से लागू, गाड़ी निकालने से पहले ये सब बातें जाननी जरूरी
सोमवार को स्वामीनाथन ने ट्विटर पर कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता का विषय बन गया है और लोगों द्वारा पराली जलाने के लिए किसानों को दोषी ठहराया जा रहा है और उससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में पराली नहीं जलाई जाती है और उसे पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। प्रख्यात वैज्ञानिक ने सुझाव दिया कि हमें किसानों को जिम्मेदार बताने की बजाय धान के पेड़ के ठूंठ को आय में परिवर्तित करने के तरीके अपनाने चाहिए।
In South India stubble is not burnt as there’s economic value as animal feed. For years I pointed out many economic uses of rice straw. We should adopt a do-ecology approach with farmers to convert rice stubble into income rather than making them agents of eco-disaster. 2/4
— M S Swaminathan (@msswaminathan) November 4, 2019
उन्होंने हाल ही में चेन्नई स्थित एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) द्वारा म्यांमार में स्थापित राइस बायोपार्क का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि राइस बायोपार्क ने दिखाया कि कैसे पराली का उपयोग कागज, कार्डबोर्ड और पशु आहार सहित उत्पादों को बनाने के लिए किया जा सकता है। आपको बता दें कि म्यांमार में यह राइस बायोपार्क विदेश मंत्रालय की मदद से स्थापित किया गया था, जिसका उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था।
I suggest that the Delhi, Haryana and UP govts put up Rice BioParks where farmers can convert stubble into income and employment. We should stop blaming farmers since it will take us nowhere. Instead we should propose methods which are economically & ecologically desirable. 4/4
— M S Swaminathan (@msswaminathan) November 4, 2019
गौरतलब है कि देश में एक साल में करीब 14 करोड़ टन पुआल और 28 करोड़ टन चावल के भूसे का उत्पादन होता है। एमएस स्वामीनाथन ने सुझाव दिया है कि दिल्ली, हरियाणा और यूपी सरकार को राइस बायोपार्क बनवाने चाहिए, जहाँ किसान इसे आय और रोज़गार में तब्दील कर सकें। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि हमें किसानों को दोष देना बंद करना चाहिए क्योंकि यह हमें कहीं नहीं ले जाएगा। इसके बजाय हमें ऐसे तरीकों पर अमल करना चाहिए जो आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से जरूरी हों।