सैयद किरमानी ने बताई धोनी के टीम इंडिया में सेलेक्शन की कहानी, जानें कितना रोचक रहा माही का ये सफ़र

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MS Dhoni’s journey as a cricketer is an inspiration

टीम इंडिया (Team India) की क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान (Former Captain) एम एस धोनी (MS Dhoni) के शिखर तक पहुंचने की कहानी कई दिलचस्प किस्सों से भरी हुई हैं। धोनी (Dhoni) के हुनर को पहचानने का असल श्रेय टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर (Former Wicket-Keeper) को ही जाता है।

आपको याद होगा सालों पहले सैयद किरमानी (Syed Kirmani) उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1983 में पहली बार वर्ल्ड कप (World Cup) पर कब्जा जमाया था तो वहीं एक जमाने में टीम इंडिया (Team India) के चेयरमैन ऑफ सेलेक्टर्स रह चुके थे।


इस दौरान उनकी नजर एक ऐसे साधारण खिलाड़ी (Player) पर पड़ी जिसके असाधारण खेल ने टीम इंडिया (Team India) का क्रिकेट इतिहास (Cricket History) ही बदलकर रख दिया और आगे चलकर इसी खिलाड़ी ने सफलता की एक नई इबारत लिखी।

एक समय धोनी (Dhoni) भी जिंदगी में संघर्ष के उस मुकाम पर खड़े थे जब उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि वो सही राह पर चल रहे हैं। ये खिलाड़ी इस मुश्किल दौर में खड़गपुर रेलवे स्टेशन (Kharagpur Railway Station) पर अपनी नौकरी (Job) के बीच में फंस गया था।

धोनी के इस दौर के बारे में किरमाणी ने बताया कि साल 2004 में जब धोनी ईस्ट जोन (East Zone) की तरफ से खेलते थे उस दौरान सेलेक्टर्स उनका मैच देखने के लिए गए थे। धोनी ने उस दौरान कई लंबे छक्के जड़े जिसका नतीजा ये हुआ कि उनका टीम इंडिया में चयन हो गया।


किरमानी ने आगे बताया कि, मैं और प्रणव रॉय रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) मैच देख रहे थे। मुझे ये तो याद नहीं वो कौन सा मैच था। लेकिन प्रणव उसके गवाह हैं, उन्होंने बताया कि एक झारखंड (Jharkhand) का विकेटकीपर बल्लेबाज है जो युवा है और सेलेक्शन के लिए चुना जाना चाहिए।

प्रणव के यह कहने पर मैं पूछ बैठा कि क्या वो इस मैच में विकेटकीपिंग कर रहे हैं तो मुझे उन्होंने कहा कि नहीं वो फाइन लेग (Fine Leg) पर खड़े हैं। इसके बाद किरमाणी (Kirmani) ने धोनी (Dhoni) के पिछले 2 सालों के स्टैट्स देखें और वो हैरान हो गए।

किरमानी ने उनके आंकड़े देखकर कहा कि, उनकी बल्लेबाजी वाकई बेहद शानदार थी। हालांकि तब मैंने उन्हें विकेटकीपिंग करते नहीं देखा और सीधे उन्हें ईस्ट जोन (East Zone) में चुनने के लिए कह दिया और बाकी का इतिहास है।

यह ऐसा दौर था जब टीम इंडिया किसी ऐसे ही विकेटकीपर (Wicket-Keeper) की तलाश कर रही थी। उस दौरान टीम इंडिया में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं था जो बेहतरीन विकेटकीपिंग कर पाए। नयन मोंगिया मैच फिक्सिंग में फंसे थे और सबा करीम का करियर खत्म हो चुका था।

ऐसे में टीम इंडिया (Team India) को कीपिंग ग्लव्स राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) सौंपने पड़े। साल 2003 वर्ल्ड कप (World Cup) खत्म होने के बाद समीर दिघे, अजय रात्रा और दीप दास गुप्ता के नाम सामने आए लेकिन कोई जगह नहीं बना सका।

जबकि बाकी देशों के पास उम्दा विकेटकीपर बल्लेबाज थे। जैसे कि ऑस्ट्रेलिया के पास एडम गिलक्रिस्ट (Adam Gilchrist) थे तो वहीं श्रीलंका के पास कुमार संगकारा (Kumar Sangakkara) थे। जो ने कमाल के विकेटकीपर्स थे बल्कि वो जबरदस्त बल्लेबाजा भी करते थे।

टीम इंडिया अभी भी दिनेश कार्तिक (Dinesh Kartik) और पार्थिव पटेल (Parthiv Patel) के बीच कंफ्यूज थी क्योंकि दोनों विकेटकीपर बल्लेबाजी में कमाल नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में हमें किसी नए विकल्प की तलाश में थे जो इस कमी को पूरा कर सकें।

इसके बाद साल 2004 में धोनी आए और श्रीलंका (Srilanka) के खिलाफ ऐसी पारी खेली की पूरा देश उनकी काबिलियत का कायल हो गया। तीन सालों के भीतर ही वो टीम इंडिया (Team India) के कप्तान (Team India Captain) भी बन गए।

किरमानी ने कहा कि एक विकेटकीपर, कप्तान के लिए आंख का काम करता है उसे पता होता है कि फील्डिर्स (Fielders) कहां लगाने चाहिए और कैसी गेंदबाजी (Bowling) करनी चाहिए। धोनी (Dhoni) ने अपनी स्किल्स और बल्लेबाजी की मदद से क्रिकेट में एक नया अध्याय जोड़ा।


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