इनकम टैक्स एक्ट 80DDB के तहत इन बीमारियों के इलाज पर पायें छूट

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इनकम टैक्स एक्ट 80DDB के तहत इन बीमारियों के इलाज पर पायें छूट

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है। इस छूट का फायदा खुद, बच्चों या माता-पिता के लिए ली गई हेल्थ पॉलिसी के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम पर मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक और तरीका है जिससे आप टैक्स बचा सकते हैं और इसका आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान से कोई लेना-देना नहीं है। इस छूट का दावा सेक्शन 80DDB के तहत किया जा सकता है।

टैक्सेबल इनकम के कैलकुलेशन से पहले ग्रॉस टोटल इनकम से डिडक्शन को क्लेम किया जाता है। टैक्सेबल इनकम घटने से टैक्स देनदारी कम हो जाती है। हालांकि, इस डिडक्शन के लिए खास बीमारियों के इलाज पर किए गए खर्च शामिल होते हैं। सेक्शन 80DDB के तहत के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए यहां हम इससे जुड़ी हर एक बात बता रहे हैं।


क्या कहता है कानून?

देश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) सेक्शन 80DDB के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यानी अनिवासी भारतीय (NRI) यह डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते हैं। खुद या परिवार के आश्रित सदस्य के चिकित्सा खर्च पर यह डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। कानून के तहत आश्रित के दायरे में जीवनसाथी, बच्चे, माता-पिता, भाई और बहन आते हैं। हिंदू अविभाजित परिवार के मामले में इसे एचयूएफ के सदस्य के लिए क्लेम किया जा सकता है।

कौन-कौन सी बीमारियों के इलाज पर डिडक्शन? खास बीमारियों के इलाज के खर्च पर ही इस सेक्शन के तहत डिडक्शन उपलब्ध है।


  • कैंसर
  • एड्स
  • किडनी फेल होने पर
  • हीमोफीलिया
  • थेलेसेमिया

नीचे दी गईं मानसिक बीमारियों के मामले में भी डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। लेकिन, इनमें गड़बड़ी का स्तर 40 फीसदी या इससे अधिक होना चाहिए।

  • डिमेंशिया
  • डिस्टोनिया मसक्यूलोरम डिफॉर्मेंस
  • मोटर न्यूरॉन डिजीज
  • एटैक्सिया
  • खोरिया
  • हेमीबैलिसमस
  • एफेसिया
  • पार्किंसन

कितना क्लेम किया जा सकता है

मौजूदा नियमों के अनुसार, क्लेम की राशि व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है। यदि खर्च 60 साल से कम के व्यक्ति पर किया जा रहा है तो 40,000 रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।

यदि बीमार व्यक्ति की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो एक लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। संस्थान या बीमा कंपनी से कोई रीइंबर्समेंट मिलने पर क्लेम से उतनी रकम कम कर दी जाती है।


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