झारखंड के गुलाब के फूल अब खाड़ी के देशों अपकी खुशबू से महकाएंगे। दरअसल झारखंड सरकार गुलाब को विदेश भेजने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके लिए सरकार निर्यात करने वाली एजेंसी की तलाश कर रही है। एजेंसी मिलने के बाद से फूलों की गुणवत्ता तय कर बाहर भेजा जा सकेगा।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन में सबसे अधिक नुकसान फूलों की खेती करने वाले किसानों को हुआ है। ऐसे में सरकार ने उनकी आय बढ़ाने को लेकर पहल शुरू कर दी गई है। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख बताते हैं कि सब्जी के कारण विदेशों में भी झारखंड का नाम लिया जा रहा है।
फूलों के निर्यात की शुरुआत खाड़ी देशों से की जा रही है। इससे यहां के फूल उत्पादकों को अधिक लाभ मिल सकेगा। गुलाब फूलों को विदेश भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेती करना अति आवश्यक होगा। इस चुनौती से निपटने के लिए किसानों को उन्नत किस्मों के फूलों की खेती करनी होगी।
इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि फूलों की गुणवत्ता उत्तम किस्म की हो जिससे वे कम से कम दो दिनों तक खराब ना हो सके। फूलों को उस मानक में लाने के लिए उसकी खेती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। कई किसान इस दिशा में पहले से काम में जुट भी गए हैं। लेकिन जो छोटे किसान हैं, उन्हें प्रशिक्षित करने की जरूरत पड़ेगी।
यूरोप और सिंगापुर से आई सब्जियों की डिमांड :-
झारखंड की सब्जियां सऊदी अरब भेजने के बाद अब इसकी मांग यूरोप के कई देशों से आ चुकी है। कृषि विभाग अब अगले चरण में इन देशों में सब्जी भेजने की तैयारियों पर काम करेगा। इसमें अब हजारीबाग के किसानों की सब्जियां अधिक मात्रा में भेजा जाएगा। विभाग किसानों संग समन्वय स्थापित करने में जुट चुका है।
झारखंड में 745 लाख फूलों का उत्पादन होता है :-
हर साल राज्य में फूलों का उत्पादन 745 लाख होता है। गुलाब की सबसे अधिक खेती रांची में की जा रही है। रांची के पिठोरिया, ओरमांझी व तुपुदाना फूलों के उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं। गुमला, गढ़वा, दुमका व अन्य जिलों में फूलों की भी छोटे स्तर पर खेती की जाती है। झारखंड में उत्पादित फूलों में से 70 प्रतिशत फूलों की खपत स्थानीय बाजार में हो रही है।