बिहार में दुनिया की सबसे महंगी सब्ज़ी, चांदी से भी ज्यादा महंगी है इस सब्जी की कीमत

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नई दिल्ली: भारत सहित दुनिया के कई सारे देशों में कृषि पर टैक्स (Agricultural tax) नहीं लगता। सब्जियां कृषि उत्पाद (Agricultural produce)  में ही आती है। सब्जियों का उत्पादन वाले किसानों को सरकारें कई तरह की मदद करती हैं लेकिन एक सब्जी है जिसका उत्पादन करने वाले किसान को सरकार मदद नहीं करती बल्कि टैक्स लेती है क्योंकि उसकी सब्जी दुनिया की सबसे महंगी सब्जी है।

इसके लिए 17वीं सदी में अंग्रेज़ों को एक कानून (British Law) बनाना पड़ा था। इससे पहले 16वीं सदी के मशहूर अंग्रेज़ी कवि (English Poet) ने इसका गुणगान अपनी कविता में किया था। कम से कम 13 सदियों का इसका इतिहास है। ये एक लोकप्रिय नशा (Alcoholic Drink) भी है और जानलेवा रोगों की दवा (Medicine) भी…अब आपसे यह कहा जाए कि यह बात एक सब्ज़ी के बारे में हो रही है और आप न चौंकें तो यकीनन कोई समस्या होगी। हैरत में डालने वाली बात तो यह भी है कि इस कमाल की सब्ज़ी को बिहार में उगाया (Bihar Agriculture) जा रहा है।


बिहार (Bihar) में जो किसान इसे उगा रहे हैं, उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार इस फसल को तवज्जो देने के लिए किसानों की मदद करे, तो उनकी आय दस गुना से भी ज़्यादा बढ़ सकती है। इस सब्ज़ी के इतिहास से लेकर वर्तमान बाज़ार और उपयोग तक हर डिटेल आपको चौंका सकता है।

क्या है यह सब्ज़ी और इसका इतिहास?

बिहार में हॉप शूट्स का उत्पादन सुर्खियों में आया है। यह सब्ज़ी हॉप प्रजाति के पौधों की पत्तियां हैं। इसके फूलों को हॉप्स के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले यानी हज़ार साल पहले इन्हें बीयर में कड़वाहट लाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद भोजन में फ्लेवर के तौर पर इसका चलन बढ़ा और फिर चिकित्सा में इसका उपयोग हुआ। बाद में जब इसका क​मर्शियल उत्पादन हुआ, तब इसे पकाकर खाने का चलन भी शुरू हुआ।


8वीं सदी में जर्मनी में सबसे पहले हॉप्स के उत्पादन के प्रमाण मिलते हैं । इसके बाद इंग्लैंड सहित यूरोप के कई देशों में यह फसल मशहूर हुई। इंग्लैंड में 16वीं सदी में इसे बैन तक किया गया तो जर्मनी में इसे टैक्समुक्त किया गया क्योंकि राजनीति और धर्म की यह पहली पसंद थी। इंग्लैंड में आयात किए जाने वाले हॉप्स को बैन करने के लिए एक कानून तक बनाया गया था तो 1557 में कवि थॉमस टसर ने बीयर में हॉप्स के इस्तेमाल से प्रभावित होकर कविता में इसका गुणगान भी किया था।

यूरोप के बाद अमेरिका में ये हॉप्स लोकप्रिय हुए और वर्तमान में इसका सबसे बड़ा उत्पादक अमेरिका ही है। दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन जर्मनी में होता है। इन दो देशों के अलावा बाकी देशों में बहुत कम उत्पादन होता है और अब भारत के बिहार में शुरूआत हुई।

बिहार में कैसे हुआ उत्पादन?

औरंगाबाद ज़िले के किसान अमरेश सिंह ने बताया कि स्पेशल डिमांड पर ही हॉप शूट्स को खरीदा बेचा जाता है । उन्होंने ट्रायल के तौर पर हॉप शूट्स का उत्पादन किया और सिंह बताते हैं कि अब 60 फीसदी से ज़्यादा उत्पादन सफल रहा। दूसरी फसलों की तुलना में किसानों को इससे 10 गुना ज़्यादा फायदा होने तक की संभावना की बात भी अमरेश कहते हैं।

इंडियन वेजीटेबल रिसर्च इंस्टीट्यूट वाराणसी में हॉप शूट्स को निगरानी में उगाया जा रहा था। वहां से अमरेश ने इसके बीज जुटाए और अपने स्तर पर इसका उत्पादन किया। अमरेश ने कहा कि इस तरह की नई और कीमती फसलों से बिहार जैसे गरीब राज्यों की किस्मत बदल सकती है।

कितनी है हॉप शूट्स की कीमत?

यह जानकर आप दंग रह सकते हैं। हॉप शूट्स का वैज्ञानिक नाम Humulus Lupulus है, जिसका इंटरनेशनल मार्केट काफी बड़ा है। 1000 यूरो से भी ज़्यादा तक की कीमत पर इसकी बिक्री होती है यानी रुपयों के हिसाब से कम से कम 87 हज़ार या करीब एक लाख रुपये किलो तक हॉप शूट्स की कीमत आंकी जाती है। छह साल पहले भी इंटरनेशनल मार्केट में यह सब्ज़ी 1000 पाउंड प्रति किलो बिक रही थी।

बसंत ऋतु में इटली में, सीज़नल डेलीकेसी की तरह समझी जाने वाली हॉप शूट्स की पहली खेप उगती है, तो इसे नीलाम तक किया जाता है और किसी कलाकृति की तरह बोली 1000 यूरो तक पहुंच जाती है।

आखिर क्यों इतनी महंगी है ये सब्ज़ी?

सबसे पहले तो आपको यह जानना चाहिए कि हॉप शूट्स की झाड़नुमा पत्तियां सब्ज़ी की तरह उपयोग में लाई जाती हैं, जबकि इसके फल, फूल और तने का भी उपयोग होता है। शराब उद्योग में खासतौर से बीयर बनाने में और दवाओं खास तौर पर एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में भी यह बहुत उपयोगी है। अमरेश भी बताते हैं कि इस सब्ज़ी के तने से बनाई गई दवाओं को टीबी के इलाज में बेहद कारगर पाया जा चुका है।

इसकी बेतहाशा कीमत के बारे में लंदन में हॉप शूट्स बेचने वाली मेलिसा कोल बता चुकी हैं कि इसका उत्पादन कमरतोड़ होता है। चूंकि यह आसानी से और एक साथ नहीं उग पाती इसलिए इसका बहुत खयाल रखना पड़ता है। लगातार निगरानी और निश्चित स्थितियों में उगने वाली हॉप शूट्स बहुत छोटी ​पत्तियां भी होती हैं, इसलिए बहुत बड़े क्षेत्र में उत्पादन से आप इसे बेचने लायक मात्रा में पाते हैं।

सेहत के लिए पावरहाउस है यह प्लांट

हॉप शूट्स को लेकर वैज्ञानिक कई शोधों के बाद यह मालूम कर चुके हैं कि टीबी के साथ ही यह कैंसर के रोग के निदान में भी उपयोगी है. कैंसर की कोशिकाओं को फैलने से रोकने में हॉप शूट्स मदद करती है। इसके साथ ही, मीनोपॉज़ से जुड़ी समस्याओं, इनसॉम्निया यानी नींद न आने की शिकायतों में भी यह मददगार है। वहीं, यह प्रमुख हर्बल एंटीबायोटिक और सीडेटिव तो है ही।

हॉप शूट्स से मिलने वाले पोषण से उन लोगों को बहुत आराम मिलता है, जिन्हें चिंता, हाइपरएक्टिविटी, नर्वसनेस, बदन दर्द, बेचैनी, यौन संक्रमण, शॉक, तनाव, दांत का दर्द, अल्सर, कार्डियोवैस्कुलर रोग जैसी शिकायतें हों। आर्थराइटिस से लेकर डैंड्रफ तक की समस्या को सुलझाने में हॉप शूट्स को असरदार पाया जा चुका है।

कैसे पकाया और खाया जाए?

दुनिया की सबसे महंगी और बेहद हैरतअंगेज़ सब्ज़ी के बारे में आखिर में यह भी जानिए कि इसे लोग कैसे खाते हैं। कई विधियों में सबसे सरल यह है कि हॉप शूट्स को 2 से 3 मिनट तक पानी में उबालने के बाद पानी निकालकर इन्हें भाप में पकाया जाता है। फिर नर्म हॉप शूट्स को बटर या चीज़ सॉस के साथ लंच या डिनर के तौर पर खाया जाता है। यह तो आपको बताया ही जा चुका है कि बीयर में लोग इसका सेवन करते ही हैं।

हॉप्स का इस्तेमाल तेल के रूप में भी होता है। इसके अलावा, यीस्ट, कैंडी और जिलेटिन में हॉप्स का उपयोग होता है और आईसक्रीम, पुडिंग, बेक फूड, च्यूइंगगम जैसी चीज़ों में जगह के हिसाब से हॉप शूट्स प्रयोग में लाए जाते हैं।

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