तिहाड़ पहुंचे कोरोना के डंक से कैसे बचीं दिल्ली से सटे यूपी की जिला जेलें? (आईएएनएस पड़ताल)

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संजीव कुमार सिंह चौहान

नई दिल्ली/ गाजियाबाद, 27 मई (आईएएनएस)। एशिया में तिहाड़ जेल की सुरक्षा बाकी तमाम जेलों से कहीं ज्यादा चुस्त-दुरुस्त जानी-मानी जाती है। कोरोना के डंक से मगर तिहाड़ और दिल्ली की बाकी अन्य दोनों जेलें भी महफूज नहीं रखी जा सकीं। राष्ट्रीय राजधानी की तीनों जेलों में बंद कैदियों में से 25 से ज्यादा कैदी और कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमित हो ही गये। ऐसा नहीं है कि, दिल्ली की जेलों को कोरोना के डंक से बचाने के पुख्ता इंतजामात नहीं थे। एहतियातन बचाव की हर तैयारी मार्च के शुरूआती दौर में ही पूरी कर ली गयी थी। सवाल यह पैदा होता है कि आखिर, जब राष्ट्रीय राजधानी की इतनी अभेद्य सुरक्षा इंतजामों वाली जेलें कोरोना के डंक से महफूज नहीं रह सकीं, तो दिल्ली से सटे यूपी के बाकी कई जिलों की जेलों को कोरोना के कोहराम से कैसे बचा लिया गया? जबकि हर जगह जेल और कैदी और इनके सुरक्षा इंतजाम कमोबेश थोड़े बहुत ऊपर नीचे करके समान ही होते हैं।


आईएएनएस की टीम ने इन तमाम सवालों को जानने के लिए पूरी पड़ताल की। पड़ताल के दौरान यूपी और दिल्ली के जेल अधिकारियों से भी कई दौर की बात की। दोनों राज्यों के जेल अफसरों की कुछ सलाह/इंतजामों को लेकर उठाये गये एहतियाती कदम भी तकरीबन मिलते जुलते ही मिले। इसके बाद भी राष्ट्रीय राजधानी की तीन जेलों में से कोरोना ने एक जेल को भी नहीं बख्शा। जबकि दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानि विशेषकर यूपी की जेलों में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज (कैदी अथवा जेलकर्मचारी अफसर) नहीं मिला। दिल्ली से सटे यूपी की जिन जेलों में अभी तक कोई भी कोरोना पॉजिटिव केस सामने नहीं आया है, उनमें प्रमुख हैं डासना (गाजियाबाद), गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत जिला जेल।

लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश जेल महानिदेशालय के मुताबिक, “31 अप्रैल 2020 तक की गणना के मुताबिक इन पांच जेल में से सबसे ज्यादा कैदी गाजियाबाद जिला जेल (डासना) में बंद हैं। यहां मौजूदा वक्त में अनुमानित 3876 कैदी बंद करके रखे गये हैं। कैदियों की संख्या के नजरिये से दूसरे नंबर पर गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) जिला जेल है। यहां हाल फिलहाल 2328 कैदी बंद हैं। तीसरे नंबर पर कैदियों की संख्या के हिसाब से है मेरठ (2377 कैदी) जेल का नंबर, बुलंदशहर (1807 कैदी) और बागपत (698) जिला जेल बंद करके रखे गये कैदियों की नजर से चौथे और पांचवें पायदान पर हैं।” कुल जमा दिल्ली से सटे यूपी के इन पांच जिला जेलों में वर्तमान समय में बंद कैदियों की कुल संख्या का योग है 11784।

इस हिसाब से दिल्ली में स्थित कुल 16 जेल (तिहाड़, मंडोली और रोहिणी) में मौजूदा समय में करीब 14 हजार कैदी बंद हैं। इन कैदियों की रखवाली के लिए जेल स्टाफ और कर्मचारियों की संख्या भी हजारों में है। यानि दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, मेरठ, बुलंदशहर जिलों की पांच जेलों में जितने कैदी और कर्मचारी हैं, उससे कहीं ज्यादा भीड़ दिल्ली की जेलों में है।


आखिर वो कौन सी वजह है जिसके चलते दिल्ली की एक भी जेल को कोरोना ने नहीं बख्शा? पूछने पर दिल्ली के अतिरिक्त महानिरीक्षक (जेल) राजकुमार से बात की गयी। राजकुमार से मुताबिक, “हमारे यहां कैदियों और स्टाफ की संख्या यूपी की पांचों जेल से कहीं ज्यादा है। हमने सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन, मास्क साबुन इत्यादि का एहतियातन इंतजाम मार्च के शुरू में ही कर लिया था। यह उस वक्त की बात है जब लॉकडाउन लागू भी नहीं हुआ था। कैदियों की मिलाई पर सख्त पाबंदी लगा दी गयी थी। सिर्फ हम जरुरत की बात वो भी जेल कर्मचारी की मौजूदगी में कैदी के परिवार वालों और वकीलों से फोन पर ही करा रहे है। ताकि सामाजिक दूरी प्रभावित न हो।”

एआईजी दिल्ली जेल के अनुसार, “हर जेल में एक अस्थाई कोरोंटाइन होम तैयार कर लिया था। किसी भी नये कैदी के पहुंचने पर उसे पहले कई दिन तक इसी होम कोरोंटाइन होम में ही रख रहे हैं। डॉक्टरी जांच और थर्मल स्क्रीनिंग रिपोर्ट ओके आने पर ही नये कैदी को जेलों की मुख्य बैरक्स में भेज रहे हैं। इसके बाद भी जो थोड़े बहुत कोरोना पॉजिटिव केस सामने आये हैं। उसकी भी कई वजह हो सकती हैं।”

राजकुमार ने आगे बताया, “दरअसल हमने तमाम पाबंदियां लगा लीं। आना जाना भी पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया। सेनेटाइजेशन का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है। कोरोना संक्रमण मगर किस-किस रूप में और कैसे किसके जरिये आ सकता है? इस बारे में बचाव के जो इंतजामात थे उनमें कहीं हमने कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसके बाद भी जो केस हमारी जेलों में पॉजिटिव मिले हैं, उनमें भी कई की रिपोर्ट अब निगेटिव आ चुकी है।”

इन तमाम इंतजामों के बाद भी दिल्ली की तीनों जेल कोरोना के डंक की चोट से अछूती क्यों नहीं रह पायीं? पूछे जाने पर राज कुमार बोले, “संभव है कि जेलों में ट्रक-ट्रैक्टरों में भरकर जो राशन, सब्जी व कैदियों के अन्य जरुरत का सामान आता है, उसके जरिये संक्रमण फैला हो। इसके अलावा और कोई वजह या इंतजामों में कोई और कमी जेल में कोरोना फैलने की हमें नजर नहीं आ रही है। जहां तक राशन-सब्जी जेल में आने का सवाल है तो उसे भी हम कई कई दिन तक जेल के बाहरी हिस्से में ही धूप में रखते हैं।”

बुधवार को इस बारे में आईएएनएस ने उत्तर प्रदेश जेल महानिदेशालय प्रवक्ता संतोष वर्मा से बात की। देश की राजधानी में तमाम एहतियातों के बाद भी कोरोना ने कोहराम मचा दिया। दिल्ली से सटे आपके पांच जिलों की किसी भी जेल में एक भी कोरोना पॉजिटिव कैदी-कर्मचारी नहीं मिला। भीड़ तो आपकी जेलों में काफी है। आखिर यह कैसे संभव हुआ? पूछने पर संतोष वर्मा बोले, “हर सरकार ने जेल में कोरोना संक्रमण रोकने के अपने स्तर से बेहतरतम उपाय किये हैं। फर्क सिर्फ यह हो सकता है कि कहीं कैदियों की भीड़ कम हो कहीं ज्यादा। हालांकि हमारी जेलों में भी भीड़ कम नहीं है। इसमें यूपी जेल प्रशासन की सतर्कता। एहतियाती कदम के साथ साथ हमारी इन जेलों को कोरोना के डंक से बचाने के साथ साथ ईश्वर का भी शुक्रिया हमें करना चाहिए।”

–आईएएनएस

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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