Hariyali Teej 2020 : हमारे देश में आस्था और त्यौहारों का विशेष महत्व है। सभी धर्मों के लोग अपनी–अपनी मान्यता अनुसार पूजा और उत्सव मनाते हैं। इस समय हिंदु धर्म में सावन के पवित्र महीने में तीज त्योहार (Teej) का काफी महत्व होता है। यह त्योहार काफी शुभ माना जाता है।
सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज (Hariyali Teej) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। इस बार हरियाली तीज आज के दिन मनाई जा रही है।
इस दिन विवाहित महिलायें इकट्ठा होकर माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं। इस अवसर पर झूला झूलने और मेहंदी लगाने का भी रिवाज है। आइए जानते हैं हरियाली तीज (Hariyali Teej) की पूजा विधि और इसे कैसे मनाते हैं-
हरियाली तीज (Hariyali Teej) व्रत से जुड़ी 10 खास बातें
1- हरियाली तीज (Hariyali Teej) व्रत करने के पीछे कथा है कि मां पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आज ही के दिन यानी श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तीज को मां पार्वती के सामने प्रकट हुए और उनसे शादी करने का वरदान दिया था।
2- मान्यता है कि हरियाली तीज (Hariyali Teej) के दिन महिलाएं पुत्र प्राप्ति की इच्छा के लिए व्रत करती हैं जबकि कन्या मनवांछित वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।
3- इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं।
4- पूजा के बाद मिट्टियों की इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित करने की मान्यता है।
5- व्रत करने वाले भक्त सुबह स्नान कर और मां-पार्वती की विधिवत पूजा कर इस व्रत को शुरू करते हैं।
6- कुछ स्थानों पर मां पार्वती और शिवलिंग की पूजा के वक्त मां पार्वती को शंकर जी वर के रूप में कैसे प्राप्त हुए इसकी कथा भी सुनाई जाती है। इस कथा को हरियाली तीज (Hariyali Teej) कथा के नाम से भी जानते हैं।
7- मान्यता के इस व्रत के दौरान पूरे दिन मां पार्वती और भगवान शिव का ही ध्यान करना चाहिए।
8- व्रत खोलने से पहले भगवान को खीर पूरी या हलुआ और मालपुए से भोग लगाना चाहिए।
9- विवाहित महिलाएं इस दिन जब पूजा के लिए तैयार होती हैं तो सोलह श्रृंगार करती हैं।
10- हरियाली तीज (Hariyali Teej) की पूजा सामग्री के रूप में गीली मिट्टी, पीले रंग का नया कपड़ा, बेल पत्र, कलावा, धूप-अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, फूल-फल, नारियल और पंचामृत आदि इस्तेमाल कर सकते हैं।