टूलकिट मामला : दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की 5 दिन की हिरासत मांगी

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नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को टूलकिट मामले में पांच दिनों के लिए जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की हिरासत मांगी है।

दिशा की तीन दिन की न्यायिक हिरासत समाप्त होने के बाद उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा के समक्ष पेश किया गया।


गौरतलब है कि दिशा रवि किसानों के आंदोलन से जुड़े टूलकिट षड्यंत्र मामले में साजिश और देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रही है और 13 फरवरी को उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।

पिछली सुनवाई में पुलिस ने अदालत को बताया था कि सह-अभियुक्त शांतनु मुलुक के साथ उसका सामना कराने के लिए 22 फरवरी को उसकी हिरासत की आवश्यकता होगी।

इससे पहले मुलुक और एक अन्य आरोपी निकिता जैकब इस मामले की जांच में द्वारका स्थित दिल्ली पुलिस के साइबर सेल कार्यालय हाजिर हुए। उन्हें पिछले सप्ताह जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किया गया था।


बहरहाल, पुलिस ने कहा कि उनका आमना-सामना कराना जरूरी था, क्योंकि दिशा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पांच दिन की पुलिस हिरासत के दौरान सही उत्तर नहीं दिया और शांतनु एवं एक अन्य सह-आरोपी निकिता जैकब को दोषी ठहराया।

दिल्ली पुलिस ने दलील दी है कि स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए गूगल दस्तावेज को ट्वीट किया और फिर इसे डिलीट कर दिया। इस दस्तावेज को दिशा रवि और दो अन्य कार्यकर्ताओं – जैकब और मुलुक ने तैयार किया था।

टूलकिट दिशानिर्देशों की एक श्रृंखला है जो बताता है कि किसी विशेष उद्देश्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। टूलकिट विषयों की व्याख्या करने वाली कार्ययोजनाओं की रूपरेखा तैयार करता है और उन सुझावों की पेशकश करता है जिसे विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

दिशा रवि की जमानत अर्जी पर आदेश मंगलवार को सुनाया जाएगा। 20 फरवरी को जमानत के लिए तीन घंटे की सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा था कि यह टूलकिट भारत को बदनाम करने और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से की गई एक नापाक कोशिश थी।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत से कहा कि अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और सिख्स फॉर जस्टिस ने नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए दिशा रवि को एक मोर्चे के रूप में इस्तेमाल किया। ये संगठन खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हैं।

–आईएएनएस

एसआरएस/एएनएम

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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