Google Science Fair 2019: दो भारतीय छात्रों ने भी मारी बाजी, रबर बनाने का इको-फ्रेंडली तरीका खोजा

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Google Science Fair 2019: दो भारतीय छात्रों ने भी मारी बाजी, रबर बनाने का इको-फ्रेंडली तरीका खोजा

Google Science Fair 2019:  दो भारतीय छात्रों ने गूगल साइंस फेयर 2019 के विजेताओं की लिस्ट में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है। एयू नचिकेत कुमार और अमन केए नाम के इन छात्रों ने गूगल के वार्षिक साइंस फेयर के 9वें संस्करण में हिस्सा लिया था। इन दोनों छात्रों को ‘नैशनल जियोग्राफिक एक्सप्लोरर अवॉर्ड’ कैटिगरी में विजेता घोषित किया गया है। गूगल हर साल यह साइंस फेयर आयोजित कराता है जिसमें दुनियाभर से छात्र अपने आइडिया और उनके डेमॉन्स्ट्रेशन प्रस्तुत करते हैं। आयरलैंड के फियॉन फिरेरा को उनके समुद्र से माइक्रोप्लास्टिक हटाने के उनके प्रोजेक्ट के लिए इस वर्ष का पहला प्राइज दिया गया है।

कर्नाटक के हैं दोनों छात्र

विजेता दोनों छात्र कर्नाटक के रहने वाले हैं। सोलह साल के नचिकेत कर्नाटक के एक छोटे से गांव उप्पिनानगडे के रहने वाले हैं, वहीं अमन केए भी कर्नाटक के पुत्तूर में रहते हैं। दोनों छात्रों ने रबर तैयार करने और इसे जमाने के लिए इको-फ्रेंडली तरीका ईजाद किया है। उनके प्रोजेक्ट का नाम ‘अवेरोहा बिलिम्बी- अ नैचरल कॉगलैंट फॉर रबर लैटेक्स’ था और यह रबर तैयार करने के इको-फ्रेंडली और वातावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले तरीके पर केन्द्रित था।


रबर बनाने के इको-फ्रेंडली तरीके को खोजा

गौरतलब है कि फिलहाल रबर लेटेक्स (रबर पार्टिकल्स को पानी में मिलाकर बनाया जाने वाला गाढ़ा द्रव) में रबर को जमाने या गाढ़ा करने के लिए फॉर्मिक एसिड मिलाया जाता है। दोनों छात्रों ने इसकी जगह फिल्टर्ड बिलिम्बी एक्सट्रैक्ट का इस्तेमाल किया, जो आसानी से और बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। बिलिम्बी दरअसल दक्षिण भारत में पाया जाने वाला एक पेड़ है, जिसके फल बहुत खट्टे होते हैं। इस तरह यह तरीका इको-फ्रेंडली भी है।

14 देशों के 24 छात्रों को चुना गया

गूगल साइंस फेयर में सभी प्रतिभागियों से 24 को फाइनलिस्ट चुना गया और इनमें 14 देशों के बच्चे शामिल थे। इन छात्रों ने सतत विकास और स्वास्थ्य जैसे मामलों से जुड़ी समस्याओं पर काम किया था। कंपनी ने कहा, ‘हमें अलग-अलग STEM डिसिप्लिन से जुड़ीं बहुत सी बेहतरीन इंट्रीज मिलीं, जिनमें एआई की मदद से पौधों की बीमारी का पता लगाने से लेकर हृदय की बीमारी का नए तरीके से पता लगाने तक के तरीके शामिल थे।’

2011 में हुई थी शुरुआत

गुगल साइंस फेयर की शुरुआत 2011 में की गई थी जिसमें दुनियाभर के 13 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चे हिस्सा लेते हैं। विजेता छात्र को गूगल की ओर से 50 हजार डॉलर की एजुकेशनल स्कॉलरशिप और ट्रैवल बेस्ड प्राइज दिए जाते हैं।


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