बजट पेश होने से पहले क्यों होती है हलवा सेरेमनी, कमरे में बंद क्यों रहते हैं अधिकारी?

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बजट पेश होने से पहले क्यों होती है हलवा सेरेमनी, कमरे में बंद क्यों रहते हैं अधिकारी?

Budget 2020: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी। बजट से पहले सोमवार 20 जनवरी को वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी के साथ बजट के दस्तावेजों की छपाई का काम शुरू हो गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजट पेश करने से पहले एक रस्म वित्त मंत्रालय में निभाई जाती है और इस रस्म के बिना बजट पास भी नहीं किया जाता ? सुनकर आप हैरान होंगे, लेकिन यह सच है। दरअसल, यह रस्म है बजट से पहले हलवा खाने की। दरअसल जब बजट बनकर तैयार हो जाता है तो उसे छपने के लिए भेजे जाने के बाद हलवा खिलाने की रस्म होती है। इसमें वित्त मंत्रालय के सभी अधिकारी हलवा खाते हैं।

परंपरा के मुताबिक सोमवार को वित्त मंत्रालय में ‘हलवा समारोह’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार ने बजट के काम में जुड़े सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को हलवा बांटकर खिलाया।


बजट पेश होने से पहले क्यों होती है हलवा सेरेमनी, कमरे में बंद क्यों रहते हैं अधिकारी?

हलवा सेरेमनी के साथ ही बजट बनाने के काम से जुड़े तमाम अधिकारी और कर्मचारी नजरबंद कर दिए जाते हैं। वित्त मंत्रालय के 100 अधिकारियों को बजट पेश होने तक नजरबंद कर दिया जाता है। बजट से जुड़े सभी अधिकारी या वित्त मंत्रालय के अधिकारी किसी के भी संपर्क में नहीं रहते और ना ही बात करते हैं। यहां तक कि वो अपने परिवार से भी तब तक दूर रहते हैं जब तक बजट पेश नहीं हो जाता। अगर कोई बातचीत भी होती है तो वो इंटेलिजेंस अफसर की निगरानी में होती है।

भारतीय बजट से जुड़ी अन्य जानकारी

भारतीय बजट का इतिहास 150 सालों से भी पुराना है। देश का पहला बजट ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था जबकि स्वतंत्र भारत का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आर. के. षणमुखम शेट्टी ने पेश किया था। आजादी से लेकर अभी तक बजट पेश करने के तौर-तरीकों और नियमों में काफी बदलाव आया है। अब बजट की पेशी और भी सीक्रेट तरीके से होती है।


सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री

सबसे ज्यादा बार मोरारजी देसाई ने बजट पेश किया। उन्होंने 10 बार बजट पेश किया था और उनके बाद प्रणब मुखर्जी, पी. चिदंबरम और पी. डी. देशमुख का नाम आता है।


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