वाराणसी: काशी विश्‍वनाथ मंदिर के लिए ड्रेस कोड, जींस-पैंट वाले नहीं कर सकेंगे शिव को स्पर्श

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वाराणसी: काशी विश्‍वनाथ मंदिर के लिए ड्रेस कोड, जींस-पैंट वाले नहीं कर सकेंगे शिव को स्पर्श

वाराणसी के काशी विश्‍वनाथ मंदिर में स्‍पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू हो गया है। नए ड्रेस कोड के मुताबिक, पुरुष धोती कुर्ता और महिलाएं साड़ी पहनकर ही गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन कर सकेंगी। जींस, पैंट, शर्ट, सूट, टाई कोट पहने हुए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में सिर्फ दर्शन की व्यवस्था होगी। उन्हें गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से नई व्यवस्था लागू होगी।

रविवार को प्रदेश के पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में हुई मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए अभी तक कोई ड्रेस कोड नहीं था। ऐसे में बैठक के दौरान सदस्यों ने उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग और दक्षिण भारत स्थित कई मंदिरों का उदाहरण देते हुए विश्वनाथ मंदिर में भी बिना सिले हुए वस्त्र धारण करने की बात कही।


बढ़ेगी स्पर्श दर्शन की अवधि

इसके साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए स्पर्श दर्शन का समय भी एक घंटे से बढ़ाकर सात घंटे करने का निर्णय लिया गया है। इस बैठक में विद्वानों के सुझाव पर बाबा विश्‍वनाथ का स्‍पर्श दर्शन मध्याह्न भोग आरती से पहले 11 बजे तक किए जाने पर सहमति बनी। विश्‍वनाथ धाम (कॉरिडोर) एरिया में मिले प्राचीन मंदिरों और विग्रहों को शास्‍त्रोत और पौराणिक विधि से संयोजित करने की रूप रेखा तय करने के लिए विद्वत परिषद के पदाधिकारी जल्‍द मंदिरों का निरीक्षण करेंगे। धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने बताया कि विश्‍वनाथ धाम में पौरोहित प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना है। इस केंद्र में कर्मकांड के साथ कंप्‍यूटर और अंग्रेजी की शिक्षा का तीन-तीन माह का कोर्स चलाया जाएगा। शास्‍त्रार्थ के लिए भी अलग जगह निर्धारित होगी।

ज्ञात हो कि काशी विश्वनाथ के वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने साल 1780 में करवाया गया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने से इसके शिखर का निर्माण करवाया था। काशी को भगवान शिव की राजधानी कहा जाता है। कहते हैं इसे खुद शिव ने चुना और वो यहां साक्षात मां पार्वती के साथ निवास करते हैं। सनातन परंपरा में शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं- जहां शिव का निवास माना जाता है।

बनारस के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में शिवरात्रि पर आस्था का जन सैलाब उमड़ता है। सावन भर इनके दर्शन-पूजन और अभिषेक के लिए देश ही नहीं दुनिया भर के लोग काशी आते हैं। यहां वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजते हैं।



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