लखनऊ | उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नई कार्यकारिणी गठित होने के कुछ घंटों बाद ही पार्टी में असंतोष उभरने लगा है। पार्टी नेता सोमवार रात घोषित की गई कमेटी से वरिष्ठ नेताओं को बाहर रखने को लेकर और कमेटी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रतिनिधित्व को लेकर नाराज हैं।
कांग्रेस के कार्यकर्ता भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में शामिल हुए लोगों को कमेटी में शामिल करने पर आपत्ति जता रहे हैं।
पार्टी नेताओं को यह बात नागवार गुजरी है कि नवगठित कमेटी में 45 प्रतिशत लोग ओबीसी हैं।
INC COMMUNIQUE
Appointment of following persons as Office Bearers of Uttar Pradesh Congress Committee.
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— INC Sandesh (@INCSandesh) October 7, 2019
नवगठित कमेटी में प्रियंका गांधी की छाप स्पष्ट दिखती है और उसमें सिराज मेहंदी, विनोद चौधरी, हनुमान त्रिपाठी, सत्यदेव त्रिपाठी, आर.पी. त्रिपाठी, अखिलेश प्रताप सिंह और रमेश श्रीवास्तव जैसे वरिष्ठ नेताओं को जगह नहीं दी गई है।
एक नेता ने कहा, “ये नेता कांग्रेस में कई सालों से हैं और कम से कम नई कमेटी में स्थान पाने के योग्य तो हैं। हम मानते हैं कि फोकस युवाओं पर है, लेकिन आप अनुभव को पूरी तरह नजरंदाज नहीं कर सकते।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर कुछ नेताओं को बाहर रखने के पीछे उम्र को महत्ता दी गई है तो यह कौन समझाएगा कि इस समय परामर्श समिति में मोहसिना किदवई (87) हैं।
उन्होंने कहा, “मोहसिना किदवई दिल्ली में रहती हैं और उत्तर प्रदेश में दशकों पहले रहती थीं।”
वहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं को संगठनात्मक जिम्मेदारियां दी गई हैं। इनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राज किशोर सिंह, कैसर जहां अंसारी, राकेश सचान शामिल हैं।
एक अन्य नेता ने कहा, “वे कांग्रेस में इसलिए शामिल हुए, क्योंकि वे अपनी मूल पार्टी से अलग हो गए थे, न कि इसलिए कि उन्होंने कांग्रेस की विचारधारा को अपना लिया है। सही समय पर वे यहां से भी चले जाएंगे।”
कांग्रेस कमेटी में 45 प्रतिशत सदस्य ओबीसी हैं। पार्टी नेताओं के अनुसार, कांग्रेस की यह एक और बड़ी गलती है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओबीसी पर फोकस कर रही है, तो समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी फोकस कर रही हैं। सामान्य वर्ग और मुस्लिम वर्ग खुद को पूरी तरह अलग-थलग महसूस कर रहा है। कांग्रेस को इस रिक्तता को भरने के लिए ब्राह्मणों और ठाकुरों में पैठ बनानी होगी, लेकिन ओबीसी को लुभाने के चक्कर में पार्टी ने राजनीतिक गलती कर दी है।”
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