उप्र : किसान सत्याग्रह को लेकर भाजपा के 2 विधायक आमने-सामने!

  • Follow Newsd Hindi On  

बांदा, 4 नवंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में बांदा जिले की कोलवाल रायपुर बालू खदान के खिलाफ चलाया गया किसानों का ‘जल सत्याग्रह’ आंदोलन अधिकारियों के तीन दिन के लिखित मोहलत पर शुक्रवार शाम भले ही स्थगित हो गया हो, लेकिन गुरुवार को किसानों के साथ नदी में धरना देने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नरैनी और तिंदवारी विधायक एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ गए हैं।

दरअसल, गुरुवार को कोलावल रायपुर बालू खदान के खिलाफ तीन गांवों के सैकड़ों लामबंद किसान केन नदी की जलधारा में 24 घंटे का ‘जल सत्याग्रह’ आंदोलन किया था। इस आंदोलन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नरैनी विधायक राजकरन कबीर और तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति भी किसानों के समर्थन और बालू माफियाओं के विरोध में नदी में ही धरने पर बैठ गए थे।


उस समय किसानों के पक्ष में हमदर्दी जताते हुए कबीर ने कहा था, “वह अवैध बालू खनन के खिलाफ हैं और जिले के हर किसान को ऐसे आंदोलन करना चाहिए।” इसी तरह तिंदवारी विधायक प्रजापति ने भी अवैध खनन के खिलाफ हुंकार भरते हुए किसानों की समस्या का समाधान न होने पर बड़ा आंदोलन किए जाने का ऐलान किया था।

लेकिन, जब शुक्रवार को आंदोलनरत सैकड़ों किसानों ने बालू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दरगाही पुरवा गांव के पास नरैनी-बांदा सड़क पर जाम लगा दिया था, उस समय नरैनी विधायक कबीर के सुर बदले हुए थे। उन्होंने किसानों की मौजूदगी में ही आंदोलन को सरकार के खिलाफ ठहराकर ‘अवैध खनन’ को शासन की मंशा के अनुरूप बताया था।

इतना ही नहीं, उन्होंने अपने ही दल के तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति पर क्षेत्रीय किसानों को उकसाने का भी आरोप लगा दिया था, जिससे नाराज महिला किसानों ने उन्हें घेर कर अपनी गिरफ्त में ले लिया था और बमुश्किल सरकारी सुरक्षकर्मी उन्हें मुक्त करा पाए थे।


नरैनी विधायक ने रविवार को कहा कि तिंदवारी विधायक अपने क्षेत्र के किसानों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे और उनके क्षेत्र में आकर अपनी नेतागिरी चमकाते हैं। वह इसकी शिकायत पार्टी हाईकमान से करेंगे और प्रजापति को उनके क्षेत्र में घुसने पर पाबंदी लगाने की मांग करेंगे।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चिंगारी संगठन से जुड़ी महिलाओं ने तिंदवारी विधायक को सोमवार को जल सत्याग्रह किए जाने का ज्ञापन सौंपा था और उनके उकसाने पर ही यह कथित आंदोलन हुआ है।

महिला किसानों द्वारा घेरे जाने के सवाल पर कबीर ने कहा, “अप्रत्यक्ष रूप से तिंदवारी विधायक का ही हाथ रहा है, वह मेरी छवि खराब करने पर तुले हैं।”

तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा, “हम दोनों एक ही दल के विधायक हैं, किसानों के उत्पीड़न के खिलाफ अगर मैं नरैनी क्षेत्र चला गया तो कौन सा गुनाह किया है? कम से कम कबीर शुक्र मनाए कि दो अन्य विधायक उनके साथ नहीं आए, लेकिन मैं उनके साथ खड़ा रहा। रही बात किसानों को उकसाने की तो भला अपने ही साथी के खिलाफ मैं क्यूं भड़काऊंगा?”

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सांविधानिक व्यवस्था के अनुसार किसी भी सीट से जीत कर आने वाला विधायक का कर्य क्षेत्र समूचा प्रदेश होता है। नरैनी विधायक को भारतीय संविधान पढ़ने की जरूरत है।

कुल मिलकर किसानों के जल सत्याग्रह आंदोलन को लेकर भाजपा के दोनों विधायक एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ गए हैं और आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान कई महीनों से दोनों विधायकों से खफा है, लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।

 

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
(आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब भी कर सकते हैं.)