उत्तर प्रदेश पुलिस ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन और पुलिसवालों की हत्या का प्रयास करने के मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया है। लेकिन यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। कारण यह है कि पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों को नामजद बनाया है जो घटना के वक्त मक्का में हज उमरा के लिए सऊदी अरब गए हुए थे। साथ ही कुछ ऐसे लोगों को नोटिस भेजा गया है जो सालों पहले मर चुके हैं या 90-95 साल के हैं और बिस्तर से उठ तक नहीं सकते हैं।
यूपी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने के बाद उनका कहना है कि जहां भूल हुई है उसे सुधारा जाएगा। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बहराइच के सुलेमान खान 20 दिसंबर को सऊदी अरब के मक्का शहर में काबे के सामने इबादत कर रहे थे, लेकिन यूपी पुलिस के मुताबिक ठीक उसी वक्त वह इलाके में हिंसक भीड़ का हिस्सा थे। उनपर दर्ज एफआईआर में आरोप है कि वह जुमे की नमाज के बहाने मस्जिद में जमा हुए थे। धारा 144 तोड़ कर जुलूस निकाला। मोदी-योगी मुर्दाबाद के नारे लगाए और पुलिसवालों की हत्या की कोशिश की। जिस वजह से उन पर कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
वहीं सुलेमान खान का कहना है कि किसी वजह से पुलिस को गुमराह करके मेरा नाम भी एफआईआर में डाल दिया गया है। लिहाजा मैं पुलिस प्रशासन, सीओ साहब और कप्तान साहब से उम्मीद करता हूं कि मेरा नाम उसमें (एफआईआर) से निकाल दिया जाएगा। बता दें कि सुलेमान के पासपोर्ट पर 12 दिसंबर को देश छोड़ने और 28 दिसंबर को भारत वापस आने का इमीग्रेशन का मुहर भी लगा है।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि हर एफआईआर की पूरी जांच होगी। अगर किसी बेगुनाह का नाम आ गया है तो उसे हटाया जाएगा। बहराइच के एसपी सिटी अजय प्रताप सिंह का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति उपद्रव नहीं कर रहा था और उसका नाम किसी कारण से आरोपियों की सूची में शामिल है तो उसकी अच्छे से जांच की जाएगी। अगर वह व्यक्ति मौके पर नहीं रहा है और इस बात के पर्याप्त प्रमाण पाए जाएंगे तो उसका नाम निश्चित रूप से आरोप पत्र में नहीं डाला जाएगा होगा।
गौरतलब है कि फिरोजाबाद शहर में पुलिस द्वारा जिन लोगों को शांति बनाए रखने के लिए पाबंद किया गया है, उसमें से एक बन्ने खान का नाम भी शामिल है। हैरानी की बात तो ये है कि बन्ने खान 6 साल पहले गुजर चुके हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद में ही 93 साल के फसाहत मीर को पाबंद किया गया है। फसाहत चलने-फिरने में असमर्थ हैं और अपने बिस्तर से उठ भी नहीं पाते।
‘यूपी पुलिस ने मुस्लिम युवकों पर ज्यादती की है’
बता दें कि यूपी में हुए विरोध-प्रदर्शन के हालात को संभालने के दौरान यूपी पुलिस पर मनमानी करने और तोड़फोड़ करने के आरोप लग रहे हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन गयूर उल हसन रिज़वी ने भी यूपी में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है, “नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध के दौरान मुस्लिम युवकों पर यूपी पुलिस ने ज्यादती की है। बेकसूर लड़के पुलिस कार्रवाई का शिकार हुए हैं।” रिज़वी ने कहा कि बेकसूर युवकों की रिहाई के लिए मैंने गृह सचिव और डीजीपी, यूपी से मिलकर एसआईटी का गठन किए जाने का सुझाव दिया है। मैं लगातार दोनों लोगों के संपर्क में हूं।