Uttar Pradesh: योगी के ‘हैप्पी स्कूल’ में पढ़ाई को ज्यादा रोचक और मज़ेदार बनाने पर जोर, हर तरफ इस मॉडल की हो रही चर्चा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार (Adityanath Sarkar) ने स्कूलों में मौज-मस्ती के साथ बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित की है। राज्य सरकार ने एचसीएल फाउंडेशन के साथ मिलकर, राज्य मुक्त संसाधन कार्यक्रम (एसओआरपी) लॉन्च किया है, जिसमें शिक्षकों को छात्रों के साथ दोस्ताना एवं अनुकूल शिक्षाशास्त्र विकसित (Pedagogy developed)  करने और सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा को मजेदार बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

इस पहल के तहत, 517 राजकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को ‘हैप्पी स्कूल’ में बदल दिया गया है। शारीरिक, सामाजिक और मानसिक विकास सहित सरकारी स्कूलों में रहने के दौरान छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए हैप्पी लर्निंग की अवधारणा को महत्व दिया जा रहा है।


CM Yogi Adityanath

हरदोई जिले के लगभग 350 प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक खुले संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, जैसे कि ऑडियो और ऑडियो-वीडियो प्रजेंटेशन, एनिमेटेड वीडियो, ई-बुक्स आदि। अध्यापक विभिन्न माध्यमों से छात्रों के सीखने के अनुभव को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसके अलावा सोनभद्र, श्रावस्ती और कई अन्य जिलों के सरकारी स्कूलों को भी हैप्पी स्कूल में परिवर्तित किया जा रहा है।

सीएसआर प्रोजेक्ट, एचसीएल फाउंडेशन के ऑपरेशंस हेड योगेश कुमार के अनुसार, एक स्थायी और स्केलेबल मॉडल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास लाने के लिए कई पहल और अभियान शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा, “यूपी बेसिक शिक्षा विभाग ने समुदाय पहल के तहत एचसीएल के साथ मिलकर एक शिक्षा कार्यक्रम हैप्पी स्कूल शुरू किया था, जहां फाउंडेशन उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए काम कर रहा है। राज्य सरकार के साथ साझेदारी में फाउंडेशन शिक्षा, कृषि, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है।”


बेसिक शिक्षा निदेशालय के मार्गदर्शन में, एचसीएल ने लगभग 800 ई-सामग्रियों से युक्त खुले संसाधनों का एक विशाल भंडार विकसित किया है और हरदोई में कुल 517 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों को हैप्पी स्कूल में परिवर्तित कर दिया है। एचसीएल से कीर्ति करमचंदानी के अनुसार, हैप्पी स्कूलों ने आईसीटी-एडेड सीखने की तकनीक को वीडियो-आधारित शिक्षण उपकरणों को अपनाया है। इसने कक्षा में छात्र-शिक्षक बातचीत को बढ़ाया है और छात्रों को उनकी प्रतिक्रिया में अधिक चौकस और सक्रिय बना दिया है।

कीर्ति के अनुसार, बच्चों की ई-लर्निंग पर खास ध्यान दिया जा रहा है और पाठ्यपुस्तक के तौर पर उनके लिए विभिन्न छोटी-बड़ी वीडियो और कहानियों के भंडार का संग्रह किया गया है। पहली और दूसरी कक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम को एनिमेटेड और इंटरैक्टिव ऑडियो-विजुअल सामग्रियों में परिवर्तित किया गया है।

अब तक 387 प्राथमिक और 130 उच्च प्राथमिक स्कूलों के 55,000 से अधिक छात्रों को इसका लाभ पहुंचा है। हैप्पी लर्निंग की अवधारणा ने छात्रों की ग्रहणशीलता और समझ को भी बढ़ाया है। कीर्ति ने कहा कि अब सामग्री या कंटेट कक्षा पांचवी तक के छात्रों के लिए तैयार की जा रही है, जिसे बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। कीर्ति ने बताया कि राज्य के अन्य जिलों के सरकारी स्कूलों को भी हैप्पी स्कूल में बदलने की तैयारी है। श्रावस्ती, सोनभद्र और शामली सहित कई जिलों के जिलाधिकारियों ने इस संबंध में ई-लर्निंग सामग्री के लिए भी कहा है।

(इस खबर को न्यूज्ड टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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