उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल के भी गठबंधन से अलग होने की अटकलें लगनी शुरू हो गयी हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि बसपा प्रमुख मायावती के बाद आरएलडी के मुखिया चौधरी अजीत सिंह गठबंधन को अलविदा कह सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले देश के सबसे बड़े प्रांत यूपी में बीजेपी को मात देने के लिए सपा-बसपा और आरएलडी ने मिलकर गठबंधन किया था। फिर भी तीनों दल बीजेपी का मुकाबला करने में नाकाम रहे।
लोकसभा चुनाव नतीजों में बसपा को 10 तो सपा को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पश्चिमी यूपी की पार्टी RLD को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो पाई थी। जाहिर है आरएलडी को गठबंधन में चुनाव लड़ने से कोई फायदा नहीं हुआ और ऐसे में अब अजीत सिंह की पार्टी भी गठबंधन से अलग हो सकती है। सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर शाम तक अंतिम फैसला ले सकते हैं।
मायावती ने छोड़ा साथ
बता दें, बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को गठबंधन से अलग होकर उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया था। हालांकि, उन्होंने अभी गठबंधन पर पूर्ण विराम लगाने की बात से इनकार किया है। मायावती ने अखिलेश यादव को सपा में सुधार करने की हिदायत देते हुए कहा कि सपा के काडर को बसपा की तरह मशीनरी बनाने की जरूरत है और अगर अखिलेश ऐसा कर पाते हैं तो ही भविष्य में दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, वर्ना अलग राह तलाशनी पड़ेगी।
पिछले दिनों मायावती ने बसपा को सपा का वोट ट्रांसफर न होने की बात कही। साथ ही यादव वोट के सपा से खिसकने का भी दावा किया। उन्होंने कहा कि यादव बाहुल्य सीटों पर अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और भाई अक्षय यादव का चुनाव हार जाना इस बात का संकेत है कि यादव वोट भी अब सपा के साथ बंधा नहीं रह गया है। लेकिन डिंपल और अखिलेश से अच्छे निजी रिश्तों का हवाल देते हुए मायावती ने कहा कि वे भविष्य में भी उनके दुख-सुख के साथी बने रहेंगे।