उत्तर प्रदेश: बेरोजगारी भता के नाम पर बेरोजगार हो रहे गुमराह

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उत्तर प्रदेश: बेरोजगारी भता के नाम पर बेरोजगार हो रहे गुमराह

नौकरी तो मिली नहीं, बेरोजगारी भत्ता की अफवाह उड़ गई। इसकी हसरत में हजारों युवा दौड़ पड़े हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों में कहा जा रहा है कि सरकार बेरोजगारों को तीन-चार हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता देगी। इस पर युवा पंजीकरण कराने को बेकरार हैं।

पहले पांच राज्यों में चुनाव के दौरान बेरोजगारी भत्ता के संदेश वायरल हुए। इसी महीने राजस्थान सरकार ने बेरोजगारी भत्ता की बात कही। अब उप्र सरकार का एलान बताकर युवाओं को गुमराह करने वाले मैसेज वायरल किए जा रहे हैं। परिणामस्वरूप युवा लगातार कंप्यूटर सेंटर्स पर पहुंचकर पंजीकरण करा रहे हैं। एक कंप्यूटर सेंटर पर पंजीकरण कराने आए राघवेंद्र ने बताया कि पूर्व में सपा सरकार भत्ता दे चुकी है। अन्य प्रदेशों की सरकार भी ऐसा कुछ कर रही हैं। हैरानी वाली बात नहीं कि यहां भी सरकार भत्ता शुरू कर दे।


बेरोजगारी भत्ता के नाम पर उत्तर प्रदेश के गोपीगंज और भदोही क्षेत्र में साइबर कैफे संचालकों ने कमाई बढ़ाने के चक्कर में बेरोजगारों को झांसा देना शुरू कर दिया है। एक से 23 फरवरी के बीच लगभग 6507 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया है। इससे सेवायोजन विभाग भी हैरत में पड़ गया है। उधर बेरोजगार युवक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

मामला तब सामने आया, जब शनिवार को ज्ञानपुर नगर स्थित गांधी आश्रम भवन के दूसरी मंजिल पर सेवायोजन विभाग में ऑनलाइन प्रपत्रों को जमा करने कई युवक पहुंचे और उन्हें कर्मचारियों ने ऐसी कोई योजना न चलने की जानकारी देते हुए युवकों को वापस किया। भदोही क्षेत्र से नागेंद्र कुमार, परमेंद्र, परमहंस, शिवेंद्र कुमार एवं गोपीगंज से नागेंद्र बहादुर, शिवम, नरेंद्र ओझा ने बताया कि साइबर कैफे संचालकों की ओर से बेरोजगारी भत्ता ऑनलाइन आवेदन का बोर्ड लगाकर अवैध कमाई की जा रही है। इतना ही नहीं प्रपत्रों को सीधे सेवायोजन विभाग में जमा करने की बात भी कह दी जा रही है। उधर 1500 रुपये प्रति माह की लालच में बेरोजगारों की भारी भीड़ सुबह से शाम तक साइबर कैफे और विभाग का चक्कर काटती फिर रही है।

सरकार को किया जा रहा बदनाम: रामयतन 


सेवायोजन अधिकारी रामयतन यादव ने कहा कि यह सिर्फ सरकार को बदनाम करने की साजिश और अवैध कमाई का जरिया है। इस संबंध में न तो कोई शासनादेश ही मिला है और न ही कोई दिशा-निर्देश। अचानक बढ़ी ऑनलाइन पंजीकरण संख्या को लेकर कर्मचारी भी हैरत में हैं। ऐसे कृत्य करने वाले साइबर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।


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